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आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार अस्सीवाँ आयोजन है.

  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

15 दिसंबर 2017 दिन शुक्रवार से 16 दिसंबर 2017 दिन शनिवार तक


इस बार पुनः छंदों की पुनरावृति हो रही है - 

सरसी छंद और कामरूप छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.

[प्रस्तुत चित्र अंतर्जाल से]   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

कामरूप छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक...

 

सरसी छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

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आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 15 दिसंबर 2017 दिन शुक्रवार से 16 दिसंबर 2017 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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सरसी छंद गीत

ऊपर ठोड़ी तले हथेली ,कर रहा इंतजार
देख रहा रस्ता रोटी का,बचपन भूखा हार

लोटा खाली रखा द्वार पर,मगर नहीं है नीर
उसपर तंग करेगी देखो,बहुत पिपासा पीर
चमकेंगी दो नन्हीं आँखें, पा पानी की धार

सजते देखे जिस पत्थर से,ऊँचें महल अनेक
उसके टुकड़ों से बनता है,छोटा-सा घर एक
बने आसरा सबका ही घर,सबको देता प्यार

तन को कपड़े ढाँप रहे हों,हों चाहे वे लीर
हर मौसम से बचे रहें बस,ऐसी हो तकदीर
बासी भोजन भी भूखे के,मुख में लाता लार

मौलिक एवं अप्रकाशित

आदरणीय सतविन्द्र भाई

प्रदत्त चित्र पर प्रस्तुत इस सरसी छंद गीत के लिए मेरी हार्दिक बधाई।
कर रहा इंतजार ....... यहाँ प्रवाह कुछ बाधित है

सादर

आदरणीय अखिलेश जी,सादर नमन! अनुमोदन एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार।

आपका संशय सही है,यही आभास मुझे भी हो रहा है/था। आशुलेखन करते समय इसका विकल्प ही नहीं सूझ रहा था। मार्गदर्शन का निवेदन है। सादर

आ० सतविंदर जी  छोटा -गीत ,बढ़िया-गीत   , सादर

जनाब सतविंद्र कुमार साहिब ,प्रदत्त चित्र पर सुन्दर सरसी छन्द हुए हैं ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।कर रहा इन्तज़ार की जगह लगता है लाचार 

कर सकते हैं ,देखियेगा 

आदरणीय सतविन्द्र जी, आपकी गीत-रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद. रचना को आपने प्रदत्त चित्र के सापेक्ष बनाये रखा है. 

यह अवश्य है कि प्रथम पंक्ति का दूसरा चरण शब्दकल के असंयोजन के कारण लय अथवा गेयता में नहीं है. इसके प्रति ध्यान आवश्यक है. 

बहरहाल आपकी इस रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद 

जनाब सतविन्द्र कुमार जी आदाब,प्रदत्त चित्र पर सरसी छन्द आधारित गीत का प्रयास अच्छा लगा,बधाई स्वीकार करें ।

'पा पानी की धार' 

इस चरण को इस तरह लिखें तो:-

'पाकर जल की धार'

बाक़ी गुणीजन बता ही चुके हैं,उनका संज्ञान लें ।

आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करता सरसी छंद आधारित सुंदर गीत रचा है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. प्रथम पंक्ति की गेयता पर पहले ही इंगित किया जा चुका है. सादर.

बहुत ही बेहतरीन छंद । हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय सतविंद्र कुमार जी ।

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