आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार चौरान्बेवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
16 फ़रवरी 2019 दिन शनिवार से 17 फ़रवरी 2019 दिन रविवार तक
इस बार का छंद है -
दोहा छंद
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या दोहा-ग़ज़ल या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगे
दोहा छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
********************************************************
आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो
16फ़रवरी 2019 दिन शनिवार से 17 फ़रवरी 2019 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष :
यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.
मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
Tags:
Replies are closed for this discussion.
दोहावली [ प्रथम प्रस्तुति]
.............................
मातु व्यस्त हैं काम में, कौन पिलाये दुग्ध।
डब्बे का पीना नहीं, होता बड़ा अशुद्ध॥
गौ माता का दूध है, माँ के दूध समान।
मीठा भी है पाच्य भी, पीना है आसान॥
लगी भूख तो देखिए, पीने का अंदाज।
खड़ा खाट पर जोश से, मजा ले रहा आज॥
पिला रहीं दो मौसियाँ, पहलवान सा ठाट।
बाल्टी भर पीने लगा, चंचल नन्हा जाट॥
गोरा निखरा रूप है, भावी वीर महान।
नहीं बचेगा बूंद भी, लक्ष्य एक पय पान॥
घर का सुंदर दृश्य है, छोटा सा यह गाँव।
धूप गुनगुनी का मजा, घने पेड़ की छाँव॥
शुद्ध हवा पानी सही, रहते सदा निरोग।
आँगन होता है बड़ा, बड़े हृदय के लोग॥
....................
मौलिक एवं अप्रकाशित
आदरणीय अखिलेश जी सादर अभिवादन चित्रानुरूप बहुत ही सुंदर दोहे सटीक भाव बहुत बहुत बधाई
आदरणीय भाई छोटेलालजी
दोहावली की प्रशंसा के लिए हृदय से बधाई, आभार।
सही-भली दोहावली, रचते हैं अखिलेश
निखरे-निखरे चित्र को शब्दों का गणवेश
शुभ-शुभ
दोहे की तारीफ की, सौरभजी आभार।
धन्यवाद देता हृदय, एक नहीं सौ बार॥
सादर
आदरणीय अखिलेश जी प्रदत्त चित्र पर सुंदर अभिव्यक्ति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें एवं आयोजन का शुभारंभ आपके सुंदर प्रस्तुति से हुआ है अतएव विशेष बधाई स्वीकार करें आदरणीय
आदरणीय सत्यनारायाण भाई
प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद,आभार।
जनाब भाई अखिलेश साहिब , प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं , मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l
आदरणीय तस्दीक भाई
प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद,आभार।
शुद्ध हवा पानी सही, रहते सदा निरोग।
आँगन होता है बड़ा, बड़े हृदय के लोग॥// वाह कितनी सरल पर गहन बात
चित्रानुरूप बहुत सुन्दर दोहावली हार्दिक बधाई आदरणीय अखिलेश जी
मिली बधाई आपकी, रहा न कुछ भी शेष।
धन्यवाद प्रतिभा तुम्हें, कहता है अखिलेश॥
आद० अखिलेश जी ,प्रदत्त चित्र से न्याय करते दोहे हुए सभी दोहे बढ़िया हैं हार्दिक बधाई आपको |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |