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बाल साहित्य Discussions (213)

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'अब तुम्हारे हवाले ... बहिनों' ( संस्मरण)

उन दोनों की मैं बहुत शुक्रगुजार हूं। बताऊं क्यूं? क्योंकि इस बार के गणतंत्र दिवस में उन दोनों ने मुझे भी अपने साथ शामिल कर ही लिया। जिस तरह…

Started by Sheikh Shahzad Usmani

0 Jan 20, 2019

बोल चिरैया (बाल-गीत) / शेख़ शहज़ाद उस्मानी

बोल चिरैया बोल चिरैया, कितने घर खो आयी, दाना-पानी बच्चों ख़ातिर, कितने घर हो आयी। बोल चिरैया बोल चिरैया, कब रोज़े रख पायी, कब सहरी, अफ़तार…

Started by Sheikh Shahzad Usmani

5 Jan 2, 2019
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

बाल कविता

फूल खिले जो बगिया में वह कितने सुन्दर लगते हैं लाल ,गुलाबी,नीले,पीले मन खुशियों से भरते हैं तितली उड़ती रंग-बिरंगी फूलों पर है इधर-उधर भँव…

Started by Usha Awasthi

2 Dec 29, 2018
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

पापा जैसा चुनमुन (कहानी )

पापा जैसा चुनमुन सोमवार स्कूल का आखिरी दिन था |कल से गर्मियों की छुट्टियाँ थीं |चुनमुन स्कूल-वैन से घर लौट रहा था| ड्राईवर (संवाहक ) अंकल…

Started by somesh kumar

0 May 21, 2018

तब ही मंज़िल पाओगे |

उठो  पढ़ो  नित  नव उमंग  से , आलस दूर भगा डालो |  सुबह शाम करो  याद  मन से , रोज  आदत बना डालो  |  मेहनत से कभी डरो नहीं ,   आगे  कदम बढा…

Started by Shyam Narain Verma

2 May 21, 2018
Reply by Shyam Narain Verma

चन्द बाल कविताएं ( शक्ति छंद)

बड़ा जग भरा नीर जूठा किया मगर घूँट भर ही लिया औ पिया उँडेला गया सब,बचा जो, उसे जरूरत कहाँ है न मन में घुसे खुले में जला फूँस करते धुआँ रहे…

Started by सतविन्द्र कुमार राणा

3 May 20, 2018
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

कोयल (बाल कविता)

ताटंक छंद (16, 14 पर यति, अंत मे तीन गुरु) कोयल वसन्त ऋतु की रानी,  सात सुरों की ज्ञाता है गाती है जब अपनी धुन में, मन मधुरस हो जाता है।।…

Started by नाथ सोनांचली

5 May 20, 2018
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

बाल प्रार्थना (शक्ति छंद)

शक्ति छंद: 122 122 122 12 (11=2 मांन्य) करें प्रार्थना प्रभु जरा ध्यान दो दया प्रेम दिल में भरा ज्ञान दो जुड़ें ना कभी हम किसी पाप से बचें…

Started by नाथ सोनांचली

3 May 20, 2018
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

गौरैया (विश्व गौरेया दिवस पर बाल कविता)

घर आँगन की राज दुलारी, प्यारी चुनमुन गौरैया कभी अकेले कभी झुंड में करती है ता ता थैया ।। चोंच दबाकर तिनका तिनका, अपना नीड़ बनाती है फुदक फ…

Started by नाथ सोनांचली

3 May 20, 2018
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

तुम भी तो कुछ किया करो

माँ कितना कुछ करती तुमको तुम भी तो कुछ किया करो वह जब कामों से थक बैठे पानी, पीने को दिया करो पापा जब ऑफिस से आएँ बैग हाथ में लिया करो छोटे…

Started by Usha Awasthi

0 Feb 28, 2018

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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
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"आ. भाई सुशील जी, सादर आभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
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"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
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"   आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत ग़ज़ल प्रयास की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
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दिल चुरा लिया

२२१ २१२१   १२२१  २१२  उसने  सफ़र में उम्र  के  गहना  ही  पा लियाजिसने तपा के जिस्म  को  सोना बना…See More
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समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पतझड़ छोड़ वसन्त में,  उग जाते हैं शूलजीवन में रहता नहीं, समय सदा अनुकूल।१।*सावन सूखा  बीतता, कभी …See More
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-113
"आदरणीया बबिता जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
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