2122 - 2122 - 2122 - 212
मुझको पहलू में सुला लेना मेरे प्यारे वतन
अपने आँचल की हवा देना मेरे प्यारे वतन
आ रहा हूँ तुझसे मिलने जंग के मैदान से
अपनी बाहों में उठा लेना मेरे प्यारे वतन
आ मिलूंगा जब तुझे मैं बाज़ुओं में लेके तू
मुझको झूला भी झुला देना मेरे प्यारे वतन
प्यार करना माँ के जैसे चूमकर माथा मेरा
मुझको सीने से लगा लेना मेरे प्यारे वतन
ख़ाक अपनी तेरे क़दमों छोड़ जाता हूँ…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 27, 2022 at 4:40pm — 2 Comments
22 22 - 22 22 - 22 22 - 22 2
ऐ सरहद पर मिटने वाले तुझ में जान हमारी है
इक तेरी जाँ-बाज़ी उनकी सौ जानों पर भारी है
अपने वतन की मिट्टी हमको यारो जान से प्यारी है
ख़ाक-ए-वतन बेजान नहीं ये इस में जान हमारी है
एक …
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 25, 2022 at 4:37pm — 6 Comments
1222 - 1222 - 1222 - 1222
क़वाफ़ी चंद और अशआर कहने हैं कई मुझको
चुनौती दे रहे हैं चाहने वाले नई मुझको
ये किसने दिलकी चौखट पर ज़बीं ख़म करके रख दी है
अक़ीदत की मिली है ये इबारत इक नई मुझको
चले आओ ख़ुतूत-ओ-फ़ोन से ये दिल न बहलेगा
कि तुम से रू-ब-रू करनी हैं अब बातें कई मुझको
हवाओं में घुली है फिर वो ख़ुशबू जानी-पहचानी
सुनाई दी अभी आवाज़ उसकी वाक़ई मुझको
तेरे पैकर की गर्मी से पिघलता है…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 23, 2022 at 1:41pm — No Comments
1222 - 1222 - 1222 - 1222
तुझे है जीतने की धुन तो ये इक़रार ले पहले
न हारेगा कभी भी तू किसी भी हार से पहले
अगर कुंदन के जैसा चाहता है तू चमकना तो
ज़रा शो'लों के दरियासे तू ख़ुद को तारले पहले
हवाओं की तरह आज़ाद बहना अच्छा लगता है
तो परवा छोड़ दुनिया की ज़रा रफ़्तार ले पहले
फ़रिश्तों की तरह मासूम होना है तेरी ख़्वाहिश
इताअत में तू रब की इस ख़ुदी को मार ले पहले
तुझे महताब…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 21, 2022 at 3:47pm — No Comments
2212 1211 2212 12
जिसको हुआ गुमाँ कि 'ख़ुदा' हो गया है वो
रुस्वाई के भंवर में तो ख़ुद जा गिरा है वो
अच्छा भला था 'ख़ुल्द' में 'इब्लीस' हो गया
झूठी अना की शान को मुन्किर हुआ है वो
हद से ज़ियाद: ख़ुद पे भरोसे का ये हुआ
थूका जो आस्मान पे मुँह पर गिरा है वो
मिट्टी जो फेंकी चाँद पे मैला नहीं हुआ
करनी पे अपनी ख़ुद ही तो शर्मा रहा है वो
थोड़ी सी धूप के लिये था जो रवाँ-दवाँ
सूरज को ले के…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 17, 2022 at 11:38am — 9 Comments
1222 - 1222 - 1222 - 1222
हँसी में उनकी हमने वो छुपा ख़ंजर नहीं देखा
हसीं मंज़र ही देखा था पस-ए-मंज़र नहीं देखा
वो जैसा उनको देखा है कोई दिलबर नहीं देखा
हसीं तो ख़ूब देखे हैं रुख़-ए-अनवर नहीं देखा
ज़माने में कहीं तुम सा कोई ख़ुद-सर नहीं देखा
सितमगर तो कई देखे मगर दिलबर नहीं देखा
वो मेरे ज़ाहिरी ज़ख़्मों को मुझसे पूछते हैं क्या
दिवानों ने कभी दिल में चुभा नश्तर नहीं देखा
जो कहते थे…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 13, 2022 at 6:03pm — 8 Comments
नए साल की आमद पर तुझ को
क्या तुहफ़ा पेश करूँ ऐ दोस्त
ये दिल तो सदा से तेरा है
अब जान भी तेरी हुई ऐ दोस्त
हर साल के हर नए माह तुझे
ख़ुशियों का नया पैग़ाम मिले
हर दिन के हर लम्हे तुझसे
ग़म कोसों दूर रहे ए दोस्त
नाकामी किसे कहते हैं भला
तुझको न रहे कुछ इसकी ख़बर
थम जाएं कहीं जो तेरे क़दम
ख़ुद आए वहां मंज़िल ए दोस्त
"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 1, 2022 at 12:00am — 4 Comments
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