राज आप का आप पर, पूछ रहे है लोग
नेताजी क्या आप ने,किया उचित उपयोग ?
किया उचित उपयोग,लगा क्या जन को ऐसा
जनता करती आस, दिया क्या शासन वैसा.
होती है पहिचान, भला करे जब आम का
जन का हो कल्याण, तभी है राज आप का |
(2)
सुरसा से ये फैलते, प्रचलित बहुत रिवाज
जीना कुंठित कर रहे, छोड़ न पाय समाज |
छोड़ न पाय समाज, कर्ज में निर्धन डूबे
खिलावे म्रत्यु भोज, प्रतिष्ठा के मनसूबे
स्वार्थ के वशीभूत, भोज का बाँटे पुरसा …
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 27, 2014 at 7:30pm — 13 Comments
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