वेश बदल कर मिलोगे
आहटें न बदल पाओगे ..
लब सिल कर रखोगे
नज़रों का बोलना ना छुपा पाओगे ..
चलते -चलते राह बदल दोगे
पगडंडियाँ ना छोड़ पाओगे ...
मिलोगे भी नहीं ,बात भी नहीं करोगे
सपने में आना ना छोड़ पाओगे ..
तुम से मैं हूँ , मुझ से तुम हो
हर बात मुझसे जुडी है
तुम मुझसे ना छुपा पाओगे ...
Added by upasna siag on January 24, 2013 at 4:39pm — 4 Comments
जिन्दगी तुझसे क्या
सवाल करूँ , क्या शिकायत करूँ
तुझसे जैसा चाहा
वैसा ही पाया ........
फूल चाहे तो फूल ही मिले
फूलों में काँटों की शिकायत
तुझसे क्यूँ करूँ ,
मेरी तकदीर के काँटों की
शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ ..........
सितारों भरा आसमान
चाहा तो भरपूर सितारे मिले
कुछ टूटे बिखरे सितारों की शिकायत
तुझसे क्यूँ करूँ ,
मेरी तकदीर के टूटे सितारों
की शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ…
ContinueAdded by upasna siag on January 17, 2013 at 9:46am — 4 Comments
हर रोज़ एक शब्द
सोचती हूँ
उसे बुन लेती हूँ
बुन कर सोचती हूँ
फिर उधेड़ देती हूँ ..
उधड़े हुए शब्द
ह्रदय में
एक लकीर सी बनते
तीखी धार की तरह
निकल जाते हैं ....
सोचती हूँ यह शब्दों
का बुनना फिर
उधेड़ देना
यह उधेड़-बुन न जाने
कब तक चलेगी ..
शायद यह जिन्दगी ही
एक तरह से उधेड़ - बुन ही है
Added by upasna siag on January 15, 2013 at 6:44pm — 12 Comments
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