"चलो चलो!जल्दी तैयार हो जाओ सब लोग यहाँ पंक्ति में खड़े हो जाओ।" सफ़ेद कुर्ते वाला चिल्ला रहा था। गाँव के चौपाल पर महिलाओं को इक्कठा किया जा रहा था। महिलाएं सजी -धजी पंक्ति में खड़ी होती जा रही थी। चौपाल पर कुछ नव-युवक और कुछ बुज़ुर्ग वर्ग बैठे हुए थे। बुज़ुर्गों के लिए तो जैसे यह आम बात थी। चौपाल पर भारतीय प्रजातंत्र की बातें हो रही थी। नव-युवक बुज़ुर्गों की बातें ध्यान से सुन रहे थे। किसी ने पूछा,"ये महिलाएं कहाँ जा रही हैं? इनको यह कुर्ते वाला क्यों लेने आया है? यह कौन है?" तरह- तरह की बातें हो…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 24, 2018 at 8:12am — 8 Comments
प्रिय शेखर,
दोस्त! तुम मेरे सब से अच्छे दोस्त रहे हो, अब तुमसे क्या छुपाऊं? मैं इन दिनों बहुत परेशान हूँ, तुम्हें तो पता है मैं क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करता आया हूँ| मेरी और तुम्हारी जॉब एक साथ ही लगी थी, कितने खुश थे न हम दोनों! अच्छा पैकेज पाकर ,मैं हवा में उड़ने लगा,तुमने कई बार मुझे टोका भी; पर मैं अपनी ही उड़ान भरता रहा, मैं यह भूल गया था कि प्राइवेट सेक्टर में जॉब; बरक़रार रहे जरुरी नहीं ,और ऐसा ही हुआ।सात महीनों से जॉब के लिए दर-दर भटक रहा हूँ, और दूसरी तरफ़ बैंक के क़र्ज़ तले दबता जा…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 18, 2018 at 9:58pm — 8 Comments
दूर कहीं सुख है मेरा
हैं यहाँ दुखो का डेरा
करता हूँ जिससे शिकायत
बस उसने तुरंत मुँह फेरा
हर तरफ़ है तू-तू, मैं-मैं
हर जगह बस मेरा-तेरा
हम एक हैं ,ख्वाब बन गया
समय ने ही है यह खेल खेला
कंक्रीट के मकान बन रहे
भीड़ का है बस रेला-पेला |
देखकर,सब को मैंने सोचा
चला लिया खूब दुखों का ठेला
स्वच्छ मन से हँसने लगा मैं
खिल उठा अंतर-मन…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 13, 2018 at 9:00pm — 5 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 3, 2018 at 10:31pm — 3 Comments
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