हर नुक्कड़, चौराहे पर गणतन्त्र कराहता है
“किन्तु परंतु के भँवर में घुमंतू समाज”
‘’वसुधैव कुटुंबकम’’ मूलमंत्र की प्राप्ति की पहली सीढ़ी शिक्षा ही है जिसको हासिल कर कोई भी देश अपने अभीष्ट लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है। हमने अपने महापुरुषों के बलिदान से आज़ादी का सपना पूरा कर लिया, उस आज़ादी का सूरज निकले अरसा बीत चुका, ढंग से जीने का मौका अधिकार भी मिला, दुनिया के साथ अपना देश भी…
ContinueAdded by DR. HIRDESH CHAUDHARY on January 26, 2014 at 11:00pm — 9 Comments
रिश्तों का अलंकार बनूँगी माँ
इंद्र्धनुष के समाये हें मुझमें सातों रंग
हर कली में ममता का श्रंगार करूंगी माँ।
बंद कली खिल जाने दे, नई सृष्टि रच जाने दे,
इस जग में आकर प्रकृति का उपहार बनूँगी…
ContinueAdded by DR. HIRDESH CHAUDHARY on January 14, 2014 at 7:30pm — 8 Comments
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