2122 1122 1122 22
खूब परहेज भी करता है दिखाने के लिए
है जरूरत भी मगर प्यार जमाने के लिए /1
सोच मत सिर्फ बहाना है बहाने के लिए
वक्त है पास कहाँ तुझको मनाने के लिए /2
शौक पाला जो सितम हमने उठाने के लिए
आ गई धूप भी राहों में सताने के लिए /3
देख हालात को खुद ही तू जगा ले अब तो
कौन आएगा तुझे और जगाने के लिए /4
पढ़ सके तू जो अगर रोज किताबों सा पढ़
है नहीं बात कोई मुझ में छुपाने के लिए /5
कैसी किस्मत थी…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 29, 2016 at 10:55am — 12 Comments
1222 1222 1222 1222
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भला तू देखता क्यों है महज इस आदमी का रंग
दिखाई क्यों न देता है धवल जो दोस्ती का रंग /1
सुना है खूब भाता है तुझे तो रंग भड़कीला
मगर जादा बिखेरे है छटा सुन सादगी का रंग/2
किसी को जाम भाता है किसी को शबनमी बँूदें
किसे मालूम है कैसा भला इस तिश्नगी का रंग/3
महज इक आदमी है तू न ही हिंदू न ही मुस्लिम
करे बदरंग क्यों बतला तू बँटकर जिंदगी का रंग/4
अगर बँटना ही है तुझको…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 26, 2016 at 10:41am — 16 Comments
2211 2222 2112 22
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हर हद को ही तोड़ा है बरसात के पानी ने
किस बात को माना है बरसात के पानी ने /1
उस वक्त तो सूखा था जीवन क्या हरा होता
अब गाँव डुबाया है बरसात के पानी ने /2
ये जश्न की बेला है सूखे की विदाई की
नदिया को भी न्योता है बरसात के पानी ने /3
मत खेत की बोलो तुम भाग्य ही ऐसा था
घर द्वार भी रौंदा है बरसात के पानी ने /4
कल रात…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 20, 2016 at 7:00am — 14 Comments
2222 2222 2222 222
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सुख की बात यही है केवल म्यानों में तलवारें हैं
बरना घर के ओने कोने दिखती बस तकरारें हैं /1
खुद ही जानो खुद ही समझो उस तट क्या है हाल सनम
इस तट आँखों देखी इतनी बस टूटी पतवारें हैं /2
रोज वमन विष का होता है नफरत का दरिया बहता
यार अम्न को लेकिन बिछती हर सरहद पर तारें हैं /3
रोज निर्भया हो जाती है रेपिष्टों का यार शिकार
गाँव नगर …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 19, 2016 at 5:55am — 11 Comments
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