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अब हाले दिल ये उनको सुनाना ही पड़ेगा
लगता है अपने ओंठ हिलाना ही पड़ेगा
छत पे खड़े हैं आज वो ऊंचे मकान की
इस जिस्म में अब पंख लगाना ही पड़ेगा
लौटे हैं कितने रिंद उन्हें मान के पत्थर
जल्वा- ग़ज़ल का उनको दिखाना ही पड़ेगा
छुप छुप के देखें आह भरें होगा न हमसे
नजरों के तीखे तीर चलाना ही पड़ेगा
ग़ज़लों पे रखिये आप यकी आज भी अपनी
जलता हुआ दिल ले उन्हें आना ही…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on February 26, 2015 at 10:30am — 15 Comments
तरही ग़ज़ल
नयी उम्मीद की किरने जगाती है दिवाली में
वो नन्ही जान जब दीपक जलाती है दिवाली में
अगर हो हौसला दिल में तो तय है मात दुश्मन की
जला के खुद को बाती ये सिखातीहै दिवाली में
बताशे खील खिलते फूल दीपक झिलमिलाते यूं
नहीं मुफलिस को यादे गम सताती है दिवाली में
दियों का नूर चेहरे पर चले बल खा के शरमा के
वो कातिल शोख नजरों से पिलाती है दिवाली में
है रुत बहकी, हवा महकी, अजब दिलकश नज़ारा…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on February 6, 2015 at 11:30pm — 15 Comments
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