बह्र - मफाईलुन मफाईलुन मफाईलुन मफाईलुन
बुढ़ापा आ गया लेकिन समझदारी नहीं आई।
रहे बुद्धू के बुद्धू और हुशियारी नहीं आई।
किया ऐलान देने की मदद सरकार ने लेकिन
हमेशा की तरह इमदाद सरकारी नहीं आई।
पड़ोसी के जले घर खूब धू धू कर मगर
साहब,
खुदा का शुक्र मेरे घर मे चिंगारी नहीं आई।
ढिंढोरा देश भक्ति का भले ही हम नहीं पीटें,
मगर सच है लहू में अपने गद्दारी नहीं आई।
बहुत से लोग निन्दा रोग से बीमार हैं…
ContinueAdded by Ram Awadh VIshwakarma on February 26, 2018 at 6:34pm — 7 Comments
बह्र- मफऊल फाइलात मफाईल फाइलुन
संगत खराब थी तभी गुन्डा निकल गया।
अब क्या बतायें हाथ से बेटा निकल गया।
घर से निकल गया मेरे इक दिन किरायेदार,
अच्छा हुआ जो पाँव से काँटा निकल गया।
जिसको खरा समझ के खरीदा था हाट से,
किस्मत खराब थी मेरी खोटा निकल गय।
देखो तो धूल झोंक अदालत की आँख में,
होकर बरी वो ठाठ से झूठा निकल गया।
हिन्दू का घर हो या कि मुसलमान का हो घर,
घर घर अलख जगाता कबीरा निकल…
Added by Ram Awadh VIshwakarma on February 14, 2018 at 4:00pm — 9 Comments
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