२१२२ २१२२
नीम सी कोई दवा हूँ
आदमी मैं काम का हूँ
भाग से मैं हूँ बुरा पर
शख्स लेकिन मैं भला हूँ
दो घडी रूकता ना कोई
मैं सड़क का हादसा हूँ
स्वार्थ भर को ही जरूरत
क्या मैं कोई देवता हूँ
ढूँढता हूँ अपनी मंजिल
ख़त कोई पर बेपता हूँ
गुमनाम पिथौरागढ़ी
मौलिक व अप्रकाशित
Added by gumnaam pithoragarhi on February 26, 2015 at 6:16pm — 13 Comments
2122 2122 212
पढ़ चुके जब से किताबें चार हम
भूल बैठे आपसी सब प्यार हम
बादलों ने ढक लिया सूरज अगर
मान लें सूरज की कैसे हार हम
उम्र भर कागज़ किये काले मगर
कह न पाए शेर भी दो चार हम
है भरोसा तेरे झूठे वादे पे
यार दिल के हाथ हैं लाचार हम
जीतना तो चाहते हैं दिल मगर
फिर जमा क्यों कर रहे हथियार हम
बस डकैती लूट हत्या अपहरण
देखते डरने लगे अखबार हम
मौलिक व…
ContinueAdded by gumnaam pithoragarhi on February 22, 2015 at 5:53pm — 5 Comments
Added by gumnaam pithoragarhi on February 10, 2015 at 6:05pm — 11 Comments
२१२२ २१२२ २
हो गयी है कोफ़्त जीने से
जा निकल भी ऐ जां सीने से
है सराबों का सफ़र ताउम्र
पूरा हो कैसे सफीने से
जिस्मो दिल हों ज़ख़्मी अब बेशक
रखना खुद को तुम करीने से
ख़त किताबों में मुड़ा पाया
लग गए वो लम्हे सीने से
है लिखें तकदीर में जो ज़ख्म
ये नहीं मिटते मै पीने से
हुश्न हो या इश्क हो गुमनाम
हो चुके रिश्ते भी झीने से
मौलिक व अप्रकाशित
गुमनाम पिथौरागढ़ी
Added by gumnaam pithoragarhi on February 3, 2015 at 8:30pm — 11 Comments
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