२१२२ २१२२ २१२२ २१२
कितने रिश्ते तोड़ आई तल्ख़ मनमानी मेरी
क्यूँ गवारा हो किसी को अब परेशानी मेरी
शमअ के पहलू में रख कर जान परवाना कहे
इक कहानी खुद लिखेगी अब ये कुर्बानी मेरी
रूबरू आये तो धोका दे गया मेरा नकाब
चुगलियाँ कर बैठी आँखें और हैरानी मेरी
टांक दो दिलकश सितारे कहकशाँ से तोड़कर
बोलती है अब्र से देखो चुनर धानी मेरी
शह्र भर में कू ब कू तक हो गई रुस्वाइयाँ
कर गई बर्बाद मुझको…
ContinueAdded by rajesh kumari on March 1, 2017 at 11:30am — 24 Comments
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जो अपने ख्वाब के लिए जाँ से गुज़र गए
खुद ख़्वाब बनके सबके दिलों में उतर गए
थोड़ा असर था वक्त का थोड़ी मेरी शिकस्त
जो ज़ीस्त से जु़ड़े थे वो अहसास मर गए
रिश्तों पे चढ़ गया है मुलम्मा फ़रेब का
अब जाने रंग कुदरती सारे किधर गए
ये सोच ही रहा था कि मैं क्या नया लिखूँ
फिर से वही चराग़ वरक़ पर उभर गए
बिखरे हुए थे दर्द तुम्हारी किताब में
दिल से गुज़र के वो मेरी आँखों…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on March 1, 2017 at 10:30am — 8 Comments
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