इस रहम इस वफ़ा की जरुरत नहीं
अब किसी रहनुमा की जरुरत नहीं
खुद मिलें ना मिलें अब मुझे रास्ते
मुझको तेरी दुआ की जरुरत नहीं
दो कदम चल के जाने कहाँ खो गया
दिल को उस गुमशुदा की जरुरत नहीं
कोई उसको भी जाके बता दे जरा
मुझको उस बेवफा की जरुरत नहीं
मेरे दामन में अब दाग ही दाग हैं
अब किसी बेख़ता की जरुरत नहीं
-पुष्यमित्र
Added by Pushyamitra Upadhyay on March 28, 2013 at 8:49pm — 4 Comments
गीत रूठे हुए मीत छूटे हुए
फिर भी रस्में ये सारी निभा जाऊँगा
ये अलग बात है रंग मुझमें नहीं
फिर भी फागुन तुम्हें मैं दिखा जाऊँगा
आप सो जाइये ओढ़ कर बदरियाँ
मुझको इस धूप में और जलना अभी
लक्ष्य संसार के हों समर्पित तुम्हें
मुझको इक उम्रभर और चलना अभी
मन के मंदिर में बस तुम ही तुम देव हो
प्रीत के कुछ सुमन फिर चढ़ा जाऊँगा
ये अलग बात है रंग मुझमें नहीं
फिर भी फागुन तुम्हें मैं दिखा जाऊँगा
रंग यौवन के जब सब उतरने लगें
फूल जब…
Added by Pushyamitra Upadhyay on March 26, 2013 at 9:00pm — 4 Comments
Added by Pushyamitra Upadhyay on March 9, 2013 at 6:41pm — 6 Comments
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