22 12 12 11 22 12 12
मुश्किल सवाल ज़ीस्त के आसान हो गए,
ता-हश्र हम जो कब्र के मेहमान हो गए.
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जब से कमाई बंद हुई सब बदल गया
अपनों पे बोझ हो गए सामान हो गए.
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मेरे ये हर्फ़ बन न सके गीत और ग़ज़ल
उनके तो वेद हो गए कुर’आन हो गए.
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उसने बना के…
Added by Nilesh Shevgaonkar on March 30, 2015 at 1:50pm — 28 Comments
22/22/22/22 (सभी संभव कॉम्बीनेशंस)
यादो के जब पहलू निकले
जंगल जंगल आहू निकले. आहू-हिरण
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काजल रात घटाएँ गेसू
उसके काले जादू निकले.
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जज़्बातों को रोक रखा था
देख तुझे, बे-काबू निकले.
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चाँद मेरी पलकों से फिसला
आँखों से जब आँसू निकले.
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तेरे ग़म में जब भी डूबा,
मयखानों के टापू निकले.
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भीग गया धरती का आँचल
अब मिट्टी से ख़ुशबू…
Added by Nilesh Shevgaonkar on March 29, 2015 at 8:30am — 22 Comments
१२२२/१२२२/१२२
किसी की आँख का क़तरा नहीं हूँ
ग़ज़ल में हूँ मगर मिसरा नहीं हूँ.
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न जाने क्या करूँगा ज़िन्दगी भर
तेरे सदमे से मैं उबरा नहीं हूँ.
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अना से आपकी टकरा गया था
मैं टूटा हूँ मगर बिखरा नहीं हूँ.
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खुदाया हश्र पर नरमी दिखाना
मैं काफ़िर हूँ प् ना-शुक्रा नहीं हूँ.
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सफ़र में हूँ, कोई सूरज हो जैसे
कहीं भी एक पल ठहरा नहीं हूँ.
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तराशेगी…
Added by Nilesh Shevgaonkar on March 28, 2015 at 10:08am — 12 Comments
कहते हैं इल्ज़ाम छुपाकर रक्खा है
मैंने तेरा नाम छुपाकर रक्खा है.
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झाँक के देखो मेरी इन आँखों में तुम
अनबूझा पैग़ाम छुपाकर रक्खा है.
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शायद वो हो मुझ से भी ज़्यादा प्यासा
उसकी ख़ातिर जाम छुपाकर रक्खा है.
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जिसको तुम सब कहते हो ईमाँ वाला,
उसने अपना दाम छुपाकर रक्खा है.
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आया है वो आज जुबां पर गुड लेकर
शायद कोई काम छुपाकर रक्खा है.
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मस्जिद की…
Added by Nilesh Shevgaonkar on March 25, 2015 at 11:21pm — 24 Comments
२१२२/ २१२२/ २१२२/२१२२
हादसा टूटा जो मुझ पे हादसा वो कम नहीं है
ग़म ज़माने का मुझे है इक तेरा ही ग़म नहीं है.
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या ख़ुदा! तेरे जहाँ का राज़ मैं भी जानता हूँ,
हैं ख़ुदा हर मोड़ पर लेकिन कहीं आदम नहीं है.
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तेरे वादे की क़सम मर जाएँ हम वादे पे तेरे,
क्या करें वादे पे तेरे तू ही ख़ुद क़ायम नहीं है.
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ज़ख्म वो तलवार का हो वार हो चाहे जुबां का
वक़्त से बढकर जहाँ में कोई भी मरहम…
Added by Nilesh Shevgaonkar on March 25, 2015 at 8:00am — 24 Comments
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