हज़ज मुसम्मन महज़ूफ़
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
1222 / 1222 / 1222 / 122
अभी भी है तुम्हें उस बेवफ़ा से प्यार? जी हाँ
निभाने को ये ग़म ता-उम्र हो तय्यार? जी हाँ [1]
उसे देखे बिना इक पल नहीं था चैन दिल को
उसे फिर देखना चाहोगे तुम इक बार? जी हाँ [2]
सिवा ज़िल्लत मिला कुछ भी नहीं कूचे से उसके
अभी भी क्या तुम्हें जाना है कू-ए-यार? जी हाँ [3]
पता तो है तुम्हें सर माँगती है ये मुहब्बत
तो क्या जाओगे हँसते हँसते…
Added by रवि भसीन 'शाहिद' on March 26, 2020 at 3:38pm — 5 Comments
रमल मुसम्मन सालिम मख़्बून महज़ूफ़ / महज़ूफ़ मुसक्किन
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलुन/फ़ेलुन
2122 1122 1122 112 / 22
ये सफ़र है बड़ा दुश्वार ख़ुदा ख़ैर करे
राह लगने लगी दीवार ख़ुदा ख़ैर करे [1]
इस किनारे तो सराबों के सिवा कुछ भी नहीं
देखिए क्या मिले उस पार ख़ुदा ख़ैर करे [2]
लोग खाते थे क़सम जिसकी वही ईमाँ अब
बिक रहा है सर-ए-बाज़ार ख़ुदा ख़ैर करे [3]
ये बग़ावत पे उतर आएँगे जो उठ बैठे
सो रहें हाशिया-बरदार ख़ुदा ख़ैर करे…
Added by रवि भसीन 'शाहिद' on March 20, 2020 at 7:00pm — 16 Comments
बहरे हज़ज मुसद्दस महज़ूफ़
1 2 2 2 / 1 2 2 2 / 1 2 2
जो तेरी आरज़ू खोने लगा हूँ
जुदा ख़ुद से ही मैं होने लगा हूँ [1]
जो दबती जा रही हैं ख़्वाहिशें अब
सवेरे देर तक सोने लगा हूँ [2]
बड़ी ही अहम हो पिक फ़ेसबुक पर
मैं यूँ तय्यार अब होने लगा हूँ [3]
जो आती थी हँसी रोने पे मुझको
मैं हँसते हँसते अब रोने लगा हूँ [4]
बढ़ाता जा रहा हूँ उनसे क़ुरबत
मैं ग़म के बीज अब बोने लगा हूँ [5]
जो पुरखों की दिफ़ा…
ContinueAdded by रवि भसीन 'शाहिद' on March 15, 2020 at 1:00am — 11 Comments
बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन मक़बूज़ अस्लम
121 22 121 22
फ़रेब-ओ-धोका है ये अदालत
करेगा तू क्या मिरी वकालत [1]
रसूल कितने ही आ चुके पर
गई न इंसान की जहालत [2]
सनम रिझाएँ ख़ुदा मनाएँ
है गू-मगू की ये अपनी हालत [3]
जो मुड़ गया राह-ए-इश्क़ से तो
रहेगी ता-उम्र फिर ख़जालत [4]
किसे फ़राग़त जो दे तवज्जो
दिखाइएगा किसे बसालत [5]
है मुख़्तसर मेरी गुफ़्तगू पर
है ग़ौर और फ़िक्र में तवालत…
Added by रवि भसीन 'शाहिद' on March 10, 2020 at 5:30pm — 5 Comments
बह्र मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़ 16-रुक्नी
(बह्र-ए-मीर)
2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2
छुपे हैं जाने कितने क़िस्से होली के इन रंगों में
प्यार मुहब्बत यारी रिश्ते होली के इन रंगों में
बच्चों की अठखेली इनमें और दुआएँ पुरखों की
जवाँ दिलों के ख़्वाब मचलते होली के इन रंगों में
नीला सब्ज़ गुलाबी पीला लाल फ़िरोज़ी नारंगी
जीवन के सब रंग झलकते होली के इन रंगों में
सदा मनाते आए होली मिल कर सब हिंदुस्तानी…
Added by रवि भसीन 'शाहिद' on March 10, 2020 at 12:00am — 4 Comments
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