ग़ज़ल
मापनी: 2122 2122 2122 212
आंख से आंसू कभी यों ही बहाया ना करो
दर्द दिल का भी जमाने को बताया ना करो
हर किसी को मुफ्त में कोई खुशी मिलती नहीं
मेहनत से आप अपना जी चुराया ना करो
जिन्दगी ले जब परीक्षा हौसलों से काम लो
आपदा के सामने खुद को झुकाया ना करो
हैं सफलता और नाकामी समय का खेल ही
लक्ष्य से अपनी नजर को तो हटाया ना करो
जीत लेंगे जिन्दगी की जंग ’मेठानी‘ सुनो
तुम निराशा को कभी मन में बसाया ना…
Added by Dayaram Methani on March 15, 2019 at 1:14pm — 5 Comments
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