2122 2122 212
धूप का विस्तार लगाकर सो गए
छांव सिरहाने दबाकर सो गए
oo
ज़िंदगी से थक-थका कर सो गए
वो चराग़-ए-जाँ बुझा कर सो गए
oo
गुफ़्तगू की दिल मे ख़्वाहिश थी मगर
वो मेरे ख़्वाबों में आकर सो गए
oo
तंग थी चादर तो हमने यूँ किया
पांव सीने से लगाकर सो गए
oo
उनकी नींदों पर निछावर मेरे ख़ाब
जो ज़माने को जगाकर सो गए
oo
बे-कसी में…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on March 18, 2018 at 11:00pm — 19 Comments
221 2121 1221 212
दे सोच कर सज़ाएं गुनहगार हम नहीं
ये तू भी जानता है ख़तावार हम नहीं
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जिस पर किया भरोसा वही दे गया दगा
लेकिन किसी भी शख़्स से बे-ज़ार हम नहीं
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दिल तो दिया था जान भी तुझपे निसार की
फिर क्यूँ तेरी नज़र में तेरा प्यार हम नहीं
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जिनकी खुशी के वास्ते सब कुछ लुटा दिया
उफ़ वो ही कह रहे हैं वफादार हम नहीं
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हैरत है दिल के पास थे जिनके सदा 'रज़ा'
अब तो उन्ही के प्यार के हक़दार हम नहीं
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मौलिक व…
Added by SALIM RAZA REWA on March 8, 2018 at 2:58pm — 15 Comments
रूठो न दिलदार कि होली आई है
झूम उठा संसार कि होली आई है
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साजन हैं परदेस न भाए रंग-अबीर
गोरी के आँखों से बहता झर-झर नीर
ख़त में साजन को ये लिखकर भेजा है
तुम बिन नहीं क़रार कि होली आई है
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होली के दिन बदला हर रुख़सार लगे
रंग-बिरंगा होली का श्रंगार लगे
पिए भांग हैं मस्त फाग की टोली में
बरसे रंग-फुहार कि होली आई है
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होली के दिन बड़ों का आशीर्वाद रहे
छोटो के संग होली का पल याद रहे
हर मज़हब के लोग खुशी मे खोए हैं
रंगो का…
Added by SALIM RAZA REWA on March 1, 2018 at 5:51pm — 25 Comments
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