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Akhand Gahmari's Blog – March 2015 Archive (3)

खटें गदहें

शुरू है पत्‍नी सेवा दल मुझे हर दम बताती है

दिखा बेलन सुबह से शाम तक मुझको डराती है

बदन में दर्द हो उसके करो तुम तेल से मालिश

रहेगी खुश सदा तुमसे लगाओ जब उसे पालिश

सुबह पूजा करो उसकी न है अब वो चरण दासी

अगर ऐसा न कर पाये मिले भोजन तुम्‍हें बासी

बनाना रोज वो मुझका नया एक डिस सिखाती है

शुरू है पत्‍नी सेवा दल मुझे हर दम बताती है

दिखा बेलन सुबह से शाम तक मुझको डराती है

अगर उसके कभी भाई चले आये तुम्‍हारे घर

न…

Continue

Added by Akhand Gahmari on March 31, 2015 at 7:18pm — 12 Comments

पागल

 कहें भी तो कहें किससे जला दिल वो दिखाता है

मिला कर जाम में आँसू मुझे हरदम पिलाता है

मिटाने को अगर तुम गम चले हो जाम पीने तो

न पीना तुम कभी इसको बहुत ये दिल जलाता है

न मैखाना कभी देखे समझ लो कुछ न देखे तुम

निराली है अदा इसकी गज़ल गूगॉं सुनाता है

बड़ी बेकार दुनिया है नहीं है प्‍यार अब इसमें

बिना मतलब यहाँ कोई न हाथो को बढ़ाता है

न रखनी है मुझे यारी कभी धीरज से मानव अब

जिसे मैं प्‍यार करता हूँ उसे…

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Added by Akhand Gahmari on March 28, 2015 at 7:23pm — 5 Comments

चले आओ

तुझे वो याद करके दिल जलाती है चले आओ

तड़प कर गीत वो गम के सुनाती है चले आओ

बुलाती हैं तुझे हरदम तुम्‍हारे गॉंव की गलियॉं

तुम्‍हें वो याद करके अश्‍क बहाती है चले आओ

न भूलेगीं कभी गलियॉं शरारत याद है तेरी

कसम तुमको शरारत की दिलाती है चले आओ

जले है हाथ फिर भी सेकती रोटी तुम्‍हारी मॉं

तुम्‍हारा नाम ले ले वो बुलाती है चले आओ

न सुख मिलता यहॉं शहरी न बिजली है न बत्‍ती है

मगर खुद चॉंदनी रस्‍ता…

Continue

Added by Akhand Gahmari on March 3, 2015 at 7:13pm — 20 Comments

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