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प्रदीप देवीशरण भट्ट's Blog – March 2019 Archive (4)

"रिश्तोँ की घुटन"

 

भीड भरे रस्ते पे एक दिन,

बरसोँ पुराना दोस्त मिला । 

चेहरे से मुस्कान थी गायब,

स्वर भी कुछ रुखा सा मिला । । 

 

मैंने पूछा कैसे हो तुम,

वो बोला कुछ ठीक नहीं । 

मैंने पूछा और हाल-ए-इश्क,

सोच के बोला ली भीख नही । । 

 

उसके इस उत्तर से अचम्भित,

ठिठक  गया  मैं  चलते-चलते । 

फिर काँधे पे हाथ रख पूछा,

किसी से नहीं क्या मिलते-जुलते…

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Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on March 30, 2019 at 7:00pm — 6 Comments

शहीदों का युवाओँ से संवाद- 23 मार्च शहीदी दिवस पर विशेष

हम तो कहीँ और नहीँ गये हैं बच्चोँ,

अभी भी मौज़ूद हैं ह्म तुम्हारे अंदर   

ज़ुल्म को देखकर भी चुपचाप कैसे बैठे हो,

क्या धधकता नहीं है ज्वाला तुम्हरे अंदर । ।

 

 हर इक शय में सियासत भरी हुई है…

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Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on March 29, 2019 at 3:00pm — 1 Comment

गांव का युवा और शहर के गिद्ध

माँ की लोरी सुनकर सोने वाला शिशु,

बाप की उंगली पकड चलने वाला शिशु,

दादी नानी से नये किस्से सुनने वाला शिशु,

खिलौने के लिए बाज़ार में मचलने वाला शिशु।

बडा हो…

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Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on March 27, 2019 at 1:30pm — 2 Comments

मैं एक स्त्री भी हूँ

"अंतर्रष्ट्रिय  महिला दिवस पर विशेष"

सिर्फ माँ बहन पत्नी बेटी की,

परिभषा में मत उल्झओ

सबसे पहले मैं एक स्त्री हूँ,

मुझे मेरा सम्मन दिलवाओ।।

 

सिर्फ वंश…

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Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on March 8, 2019 at 11:30am — 2 Comments

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