कोरोनामय जग हुआ, फीका पड़ा बसन्त
माँगे खुद की खैर अब, राजा, रंक, महन्त।१।
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जन्मा चाहे चीन में, लाये अपने लोग
जिससे सारे देश में, फैल रहा यह रोग।२।
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विकट घड़ी में आपदा, आयी सबके द्वार
घर के बाहर आ मगर, करो नहीं सत्कार।३।
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घर में बैठो चन्द दिन, ढककर खिड़की द्वार
कोरोना पर वार को, यही सफल हथियार।४।
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आज चिकित्सक का कहा, थोड़ा मानव मान
घर में चुपके बैठ कर, होगा रोग निदान।५।
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करो नमस्ते दूर से , नहीं मिलाओ…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 24, 2020 at 8:04pm — 2 Comments
१२२२ /१२२२/ १२२२ /१२२२/
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कभी कतरों में बँटकर तो कभी सारा गिरा कोई
मिला जो माँ का आँचल तो थका हारा गिरा कोई।१।
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कि होगी कामना पूरी किसी की लोग कहते हैं
फलक से आज फिर टूटा हुआ तारा गिरा कोई।२।
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गमों की मार से लाखों सँभल पाये नहीं लेकिन
सुना हमने यहाँ खुशियों का भी मारा गिरा कोई।३।
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किसी आजाद पन्छी को न थी मन्जूर…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 18, 2020 at 6:17am — 7 Comments
२२२२/२२२२/२२२२/२२२
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आओ नाचें, झूमें, गायें फिर से अब के होली में
इक-दूजे को खूब लुभायें फिर से अब के होली में।१।
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देख के जिसको मन ललचाये ज़न्नत के वाशिन्दों का
रंगों के घन खूब उड़ायें फिर से अब के होली में।२।
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जीवन में रंगत हो सब के संदेश हमें देे होली
रोते जन को यार हँसायें फिर से अब के होली में।३।
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आग सियासत चाहे कितनी यार लगाये नफरत की
प्रेम…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2020 at 7:30am — 8 Comments
२२१/२१२२/२२१/२१२२
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फूलों की क्या जरूरत उपवन में आदमी को
भाने लगे हैं काँटे जीवन में आदमी को।१।
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क्या क्या मिला हो चाहे मन्थन में आदमी को
विष की तलब रही पर जीवन में आदमी को।२।
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आजाद जब है रहता उत्पात करता बेढब
लगता है खूब अच्छा बन्धन में आदमी को।३।
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आता बुढ़ापा जब है रूहों की करता चिन्ता
तन की ही भूख केवल यौवन में आदमी को।४।
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कितना हरेगा विष ये चाहे पता नहीं पर
रक्खो भुजंग जैसा चन्दन में आदमी…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 5, 2020 at 4:21pm — 2 Comments
जो दुनिया से तन्हा लड़कर प्यार बचाया करते हैं
वो ही सच्चे अर्थों में सन्सार बचाया करते हैं।१।
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उन लोगों से ही तो कायम हर शय की ये रंगत है
जो पत्थर दिल दुनिया में जलधार बचाया करते हैं।२।
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तुम तो अपने सुख की खातिर खून को पानी करते हो
हम राख की ढेरी में देखो अंगार बचाया करते हैं।३।
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जो कहते हैं हम तो डूबे प्यार के रंगो में…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 4, 2020 at 7:30am — 5 Comments
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