(1)
अंग्रेजियत का, दंभ भरते, क्या दिये संस्कार।
रावण बनें कुछ, कंस भी हैं, पूतना भरमार ॥
नारी सुरक्षा, देश रक्षा, विफल है सरकार।
हैं बलात्कारी, आततायी, व्याप्त भ्रष्टाचार ॥
(2)
नेता लफंगे, संग चमचे, जब पधारे गाँव।
वो गिड़गिड़ायें, वोट माँगें, पकड़ सब के पाँव॥
जीते अगर तो, भूल से भी, दिखें न बदमाश।
मंत्री बने तो, देश का फिर, करें…
ContinueAdded by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on April 5, 2014 at 11:30am — 17 Comments
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