जमघट था हर ओर वहां
हर ओर अजब सा शोर था
छल्ले धुऐं के थे कहीं
और कहीं वाद विवाद का जोर था
एक अजनबी से बने
एक मूक दर्शक की तरह
हम कुर्सी की तलाश में
भीड़ से हट कर
एक कोनें में खडे
बार बार अपना
चश्मा साफ़ कर
इधर उधर
बार बार झाँक कर
पलकों के भीतर
आँखों की पुतलियों को
डिस्को करवा रहे थे
तभी एक कुर्सी खाली हुई
ओर हमने तुरत फुरत में
एक लाटरी की तरह
उसे झपट लिया
और एक गहरी सांस के साथ बैठ गये…
Added by Sushil Sarna on April 26, 2014 at 4:00pm — 14 Comments
अश्क आँखों में …
अश्क आँखों में हमारी ......हैं निशानी आपकी
जान ले ले न हमारी .......ये बेज़ुबानी आपकी
आपकी खामोशियों का ......शोर अब होने लगा
हो न जाए आम ये .....दिल की कहानी आपकी
लाख चाहा अब न देखें ...आपके ख़्वाबों को हम
क्या करें कम्बख़्त नीदें भी ...हैं दिवानी आपकी
आप मुज़मिर हैं हमारी ...रातों की तन्हाईयों में
बिस्तर की सलवटों में हैं ...यादें सुहानी आपकी
जीने के वास्ते जिस्म से ..सांसें ज़ेहद…
ContinueAdded by Sushil Sarna on April 19, 2014 at 3:26pm — 2 Comments
वो गयी न ज़बीं से …
आबाद हैं तन्हाईयाँ ..तेरी यादों की महक से
वो गयी न ज़बीं से .मैंने देखा बहुत बहक के
कब तलक रोकें भला बेशर्मी बहते अश्कों की
छुप सके न तीरगी में अक्स उनकी महक के
सुर्ख आँखें कह रही हैं ....बेकरारी इंतज़ार की
लो आरिज़ों पे रुक गए ..छुपे दर्द यूँ पलक के
ज़िंदा हैं हम अब तलक..... आप ही के वास्ते
रूह वरना जानती है ......सब रास्ते फलक के
बस गया है नफ़स में ....अहसास वो आपका
देखा न एक…
Added by Sushil Sarna on April 17, 2014 at 5:13pm — 10 Comments
हिज्र में भी उसकी याद ……
आज वो रहगुज़र ..हमें बेगानी सी लगती है
उनके वादों पे यकीं इक नादानी सी लगती है
इक वाद-ऐ-फ़र्दा के साथ उनका यूँ ज़ुदा होना
फिर इंतज़ार उनका इक कहानी सी लगती है
जिनकी आमद से ख़ल्वत जलवत हो जाती थी
दीद-ओ-दिल में वही मूरत .पुरानी सी लगती है
दम भरती थी जो सदा जन्नत तक साथ देने का
तसव्वुर में उसकी तस्वीर .अंजानी सी लगती है
आज मेरे ख्वाब में वो इक शरर बनके चमकी है
हिज्र में भी…
Added by Sushil Sarna on April 12, 2014 at 4:34pm — 10 Comments
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