For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – April 2019 Archive (3)

सजती चुनाव में यहाँ जब तस्तरी बहुत - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/२२२/१२१२



सजती चुनाव  में  यहाँ  जब  तस्तरी बहुत

फिर भी बढ़े है रोज क्यों ये भुखमरी बहुत।१।



उतरा न मन का मैल जो सियासत ने भर दिया

दे कर  भी  हमने  देख  ली  है  फ़िटकरी बहुत।२।



अब खेल वो दिखाएगी उसको चुनाव में

जनता से जिसने है करी बाज़ीगरी बहुत।३। 



नेता न आया  एक  भी  सेवा  की राह पर

लोगों ने कह के देख ली खोटी खरी बहुत।४।



क्या होगा उनके राज का जनता बतायेगी

करते सदन में जो रहे गत मशखरी बहुत।५।



आता…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 28, 2019 at 7:04pm — 11 Comments

सीढ़ी हो उनके वास्ते कुर्सी की राह पर - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/ २१२१/२२२/१२१२



लेकर  शराब  साड़ियाँ  मतदान  कीजिए

फिर पाँच साल जिन्दगी हलकान कीजिए।१।



देता है जो भी सीख  ये  तुमको चुनाव में

फूलों से  ऐसे  नेता  का  सम्मान कीजिए।२।



बाँटेंगे  जात  धर्म  की  सरहद  में  खूब वो

मत खाक उनका आप ये अरमान कीजिये।३।



सीढ़ी हो उनके  वास्ते  कुर्सी  की राह पर

हर लक्ष्य उनका आप ही परवान कीजिए।४।



सेवक हैं उनको आप मत…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 19, 2019 at 8:04pm — 5 Comments

सौदा जो सिर्फ देह  का  परवान चढ़ गया - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२



दिल से निकल के बात निगाहों में आ गयी

जैसे  हसीना  यार  की  बाहों  में  आ  गयी।१।



धड़कन को मेरी आपने रुसवा किया हुजूर

कैसे  हँसी, न  पूछो  कराहों  में  आ  गयी।२।



रुतबा है आपका कि सितम रहमतों से हैं

हमने दुआ भी की तो वो आहों में आ गयी।३।



कैसा कठिन सफर था मेरा सोचिये जरा

हो कर परेशाँ धूप  भी  छाहों में आ गयी।४।



सौदा जो सिर्फ…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 17, 2019 at 7:25am — 10 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service