२२१/२१२१/२२२/१२१२
सजती चुनाव में यहाँ जब तस्तरी बहुत
फिर भी बढ़े है रोज क्यों ये भुखमरी बहुत।१।
उतरा न मन का मैल जो सियासत ने भर दिया
दे कर भी हमने देख ली है फ़िटकरी बहुत।२।
अब खेल वो दिखाएगी उसको चुनाव में
जनता से जिसने है करी बाज़ीगरी बहुत।३।
नेता न आया एक भी सेवा की राह पर
लोगों ने कह के देख ली खोटी खरी बहुत।४।
क्या होगा उनके राज का जनता बतायेगी
करते सदन में जो रहे गत मशखरी बहुत।५।
आता…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 28, 2019 at 7:04pm — 11 Comments
२२१/ २१२१/२२२/१२१२
लेकर शराब साड़ियाँ मतदान कीजिए
फिर पाँच साल जिन्दगी हलकान कीजिए।१।
देता है जो भी सीख ये तुमको चुनाव में
फूलों से ऐसे नेता का सम्मान कीजिए।२।
बाँटेंगे जात धर्म की सरहद में खूब वो
मत खाक उनका आप ये अरमान कीजिये।३।
सीढ़ी हो उनके वास्ते कुर्सी की राह पर
हर लक्ष्य उनका आप ही परवान कीजिए।४।
सेवक हैं उनको आप मत…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 19, 2019 at 8:04pm — 5 Comments
२२१/२१२१/१२२१/२१२
दिल से निकल के बात निगाहों में आ गयी
जैसे हसीना यार की बाहों में आ गयी।१।
धड़कन को मेरी आपने रुसवा किया हुजूर
कैसे हँसी, न पूछो कराहों में आ गयी।२।
रुतबा है आपका कि सितम रहमतों से हैं
हमने दुआ भी की तो वो आहों में आ गयी।३।
कैसा कठिन सफर था मेरा सोचिये जरा
हो कर परेशाँ धूप भी छाहों में आ गयी।४।
सौदा जो सिर्फ…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 17, 2019 at 7:25am — 10 Comments
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