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बृजेश कुमार 'ब्रज''s Blog – May 2016 Archive (1)

​ग़ज़ल ..भूख के चर्चे हुये हैं मुफलिसी की बात है...

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हो बड़े मगरूर अपनी जीत मेरी हार में

हम लुटा देते हैं हस्ती प्रेम के व्यापार में

भूख के चर्चे हुये हैं मुफलिसी की बात है

वांच ली सारी किताबें क्या रखा है सार में

गीत बैठे तक रहे हैं झनझनाहट तार की

क्या जुगलबंदी हुई है राग सुर औ प्यार में

बाँध कर सिर पे कफ़न हैं चल पड़े कुछ…

Continue

Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 15, 2016 at 8:30pm — 10 Comments

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