For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल....ख्वाब सारे अनमने हैं

​2122        2122        2122
बेदिली के अनवरत ये सिलसिले हैं
इसलिये तो ख्वाब सारे अनमने हैं

बाद मुद्दत के सफ़र आया वतन तो
थे बशर बिखरे हुये घर अधजले हैं

बादलों औ बारिशों ने साजिशें कीं 
भूख की संभावनायें सामने हैं

अस्ल ए इंसानियत मजबूत रक्खो
हर कदम पे ज़िन्दगी में जलजले हैं

इस शहर में चीखने से कुछ न होगा
गूंगी जनता शाह भी बहरे हुये हैं

(​मौलिक एवं अप्रकाशित)

बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 3, 2016 at 8:08pm

आपकी सलाह सर्वथा उचित है आदरणीय....सुधार की कोशिश करता हूँ :) :)

Comment by Samar kabeer on September 3, 2016 at 7:49pm
जी , में आपसे सहमत नहीं हूं,आम बोलचाल की भाषा आम लोगों के लिये होती है,लेकिन आप शाइर हैं तो आप पर दोहरी ज़िम्मेदारी आ जाती है,आम लोगों को फिर कौन बताएगा कि सही शब्द क्या है,अगर ऐसा न होता तो शब्दकोष की क्या ज़रूरत होती ।अब आप क्या कहेंगे ?
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 3, 2016 at 7:42pm

आपकी सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 3, 2016 at 7:39pm

आदरणीय आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला' जी रचना पटल पे आपका अभिनन्दन एवं आभार.... 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 3, 2016 at 7:37pm

प्रणाम आदरणीय  Samar kabeer साहब आप मेरे लिए प्रेरणास्रोत हैं...आप बड़ों से ही सीख रहा हूँ और आपकी बात शिरोधार्य है...लेकिन आपसे थोड़ा विरोधाभाष है...मुझे लगता है कि अगर रचना में आम बोलचाल के शब्दों को स्थान दिया जाये तो रचना ज्यादा कर्णप्रिय हो सकती है आपकी सलाह की प्रतीक्षा में ....

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 1, 2016 at 12:30pm
आदरणीय बृजेश जी सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर ।
Comment by आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला' on August 31, 2016 at 3:34pm

अच्छी रचना हेतु बधाई ब्रज जी !!!

Comment by Samar kabeer on August 31, 2016 at 10:22am
'मामला'शब्द धीरे धीरे प्रचलन में आ गया है, और आम लोग बोल चाल में भी यही बोलते हैं,लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि जहां तक हो सके शाइरी में हमें सही शब्द का ही प्रयोग करना चाहिये क्यों कि हम आम लोग नहीं हैं न,आपका क्या खयाल है ?
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 30, 2016 at 10:22pm

प्रणाम आदरणीय  Samar kabeer साहब आपके अमूल्य समय और सार्थक समीक्षा के लिए आपका ह्रदय्तल
से आभार लेकिन आदरणीय हम आम बोलचाल में और कई बार लिखने में मामला ही इस्तेमाल करते हैं....ऐसा क्यों?

Comment by Samar kabeer on August 28, 2016 at 2:45pm
जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज'साहिब आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
आपकी जानकारी के लिये बता रहा हूँ कि तीसरे शैर के ऊला मिसरे में सही शब्द है"मुआमला"।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
15 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
22 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
22 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service