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Dr Ashutosh Mishra's Blog – May 2018 Archive (3)

मेरी आँखों में कभी अक्स ये अपना देखो

मेरी आँखों में कभी अक्स ये अपना देखो

इस बहाने ही सही प्यार का सहरा देखो

बेखबर गुल के लवों को छुआ ज्यों भँवरे ने

ले के अंगड़ाई कहा गुल ने ये पहरा देखो

वो नजाकत से मिले फिर उतर गये दिल में

अब कहे दिल की सदा हुस्न का जलवा देखो

मौला पंडित की लकीरों पे यहाँ सब चलते

तुम लकीरों से हटे हो तो ये फतवा देखो

वो भिखारी का भेष धरके बनेगा मालिक

अब सियासत में यूं ही रोज तमाशा देखो

साइकिल हाथ के हाथी के हैं जलवे देखे

अब कमल खिलने…

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Added by Dr Ashutosh Mishra on May 27, 2018 at 5:30pm — No Comments

यहाँ जिंदा की है खबर नहीं यहाँ फोटो पे ही वबाल है

11212 11212 11212 11212 

यहाँ जिंदा की है खबर नहीं यहाँ फोटो पे ही वबाल है

जो टंगी कहीं थी जमाने से खड़ा अब उसी पे सवाल है

 

कई जानवर रहे घूमते बिना फिक्र के बिना खौफ के

हुए क़त्ल जब कोई समझा था बड़े काम वाली ये खाल है

 

कई हुक्मरान हुए  यहाँ सभी आँखे बंद किये रहे

कोई खोल बैठा जो आँख है सभी कह उठे ये तो चाल है

 

ये सियासतों का समुद्र है यहाँ मछलियों सी हैं कुर्सियां

सभी हुक्मरान सधी नजर सभी ने बिछाया जाल…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on May 4, 2018 at 6:00pm — 10 Comments

आप वादे बड़े  खूब करते रहे

२१२ २१२  २१२  २१२

हम तो बस आपकी राह चलते रहे

ये ख़बर ही न थी आप छलते रहे

बादलों से निकल चाँद ने ये कहा

भीड़ में तारों की हम तो जलते रहे

हिम पिघलती हिमालय पे ज्यों धूप  में

यूँ हसीं प्यार पाकर पिघलते रहे

चांदनी भाती , आशिक हूँ मैं चाँद का 

सच कहूं तो दिए मुझको  खलते रहे

जुल्फ की छांव में उनके जानो पे सर

याद करके वो मंजर मचलते रहे

एक दूजे को हम ऐसे देखा किये

अश्क आँखों से…

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Added by Dr Ashutosh Mishra on May 2, 2018 at 2:30pm — 14 Comments

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