अपेक्षा का दीप
मैंने अपनी अपेक्षा का दीप जलाया घर में
बुझे दीप न तेज हवा से सुरक्षा बाढ़ लगाया।
लक्ष्य को छूने का दृढ़ संकल्प लिया मन में
त्याग और बलिदान से प्रेरित मंत्र अपनाया ।
छल,कपट,ईर्ष्या कभी टिके नहीं अंतस्थल में
नैतिक मूल्यों के संस्कार का आवृत्त बनाया ।
मैंने अपनी अपेक्षा का दीप जलाया घर में
दया धर्म सद्भाव बढ़े आज सभी के जीवन में
अपेक्षा की आस लिए मैंने एक दीप जलाया।
स्नेह का तेल भरा ज्योति ज्ञान की जीवन में
मन में धीरज…
Added by Ram Ashery on May 9, 2015 at 9:56am — 4 Comments
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