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Samar kabeer's Blog – May 2016 Archive (2)

तज़मीन

मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन



"तज़मीन बर ग़ज़ल हज़रत सय्यद रफ़ीक़ अहमद "क़मर" उज्जैनी साहिब"



ख़ज़ाँ देखी कभी मौसम सुहाना हमने देखा है

अँधेरा हमने देखा है,उजाला हमने देखा है

फ़सुर्दा गुल कली का मुस्कुराना हमने देखा है

"ग़मों की रात ख़ुशियों का सवेरा हमने देखा है

हमें देखो कि हर रंग-ए-ज़माना हमने देखा है"



_____



वो मंज़र जब कि माँओं से जुदा होने लगे बच्चे

वो दिन भी याद है जब फूल से मुर्झा गये चहरे

लहू से सुर्ख़ थे दरिया,गली,बाज़ार और… Continue

Added by Samar kabeer on May 29, 2016 at 3:00pm — 24 Comments

एक ग़ज़ल ओबीओ के नाम

फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन/फ़ेलान



ज पर तुझको देखना है मुझे

त्र में उसने ये लिखा है मुझे



स्ल-ए-नव से मदद का तालिब हूँ

बुर्ज नफ़रत का तोड़ना है मुझे



क्या कहूँ ,कब मिलेगा मीठा…

Continue

Added by Samar kabeer on May 2, 2016 at 6:30pm — 43 Comments

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