छंद- आल्ह, विधान- 31 मात्रा, (चौपाई +15), अंत 21
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ढाई आखर प्रेम सत्य है, स्वीकारो पहचानो मित्र.
धन बल सुख-दुख आने-जाने, प्रीत बढ़ाओ जानो मित्र.
कहते हैं लँगड़े घोड़े पर, दुनिया नहीं लगाती दाँव,
भाग्य आजमाने के बदले, स्वेद बहाओ मानो मित्र.
युग बदले हैं हुए खंडहर, थी…
ContinueAdded by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on May 12, 2020 at 10:00am — 3 Comments
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