Added by Ashok Kumar Raktale on May 27, 2016 at 10:48pm — 7 Comments
दुर्मिल सवैया.
बदली - बदली मुख फेर लिया जब सूरज लालमलाल हुआ,
वन शुष्क हुआ हर एक हरा सच शुष्क भरा हर ताल हुआ,
तन शुष्क हुआ मन शुष्क हुआ हर ओर भयंकर हाल हुआ,
जब घाम बढ़ा तब सत्य कहूँ यह हाल बड़ा विकराल हुआ ||
तन ताप लिए तन आग लिए सब व्याकुल हैं तन प्यास लिए,
दिन मानव के खग के वन के पशु के कटते बस आस लिए,
सब सोच रहे अब ग्रीष्म टले बरसे बदली मृदु भास लिए,
निकले फिरसे बरसात लिए दिन सावन भादव मास लिए…
ContinueAdded by Ashok Kumar Raktale on May 22, 2016 at 3:40pm — 6 Comments
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