For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव's Blog – May 2016 Archive (4)

भूख (लघु कथा )

ठाकुर सरकार,  माफ़ कर दें . मेरी बिटिया अभी नासमझ है .तीन दिन से चूल्हा नहीं जला सरकार .’

‘क्यों चूल्हे को क्या हुआ ?’

‘सरकार, उनका पुलिस चोरी के शक में पकड़ ले गयी , वही कुछ कमा कर लाते थे, घर् में कुछ था ही नहीं तो चूल्हा कैसे जलता?’

‘और---- तेरी बिटिया ने भी तो चोरी ही की है , तुम सब घर भर चोर हो तो माफी कैसी ?’

‘नहीं सरकार, उन्होंने चोरी नहीं की, पुलिस साबित नहीं कर पायी ‘

‘मगर तुम्हारी बेटी तो चोरी करती पकड़ी गयी .’

’हाँ सरकार मगर-----‘

‘अब…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 18, 2016 at 9:30pm — 28 Comments

गजल

2 1 2 2     2 1 2 2   2 1 2 2   2 2 2 1 

 फाईलातुन फाईलातुन फाईलातुन मफऊलात

 

कट गए  जंगल सभी  कैसे रहे  विवरों  में नाग

इसलिए सब भाग कर अब आ गए नगरों में नाग

 

चारपाई  पर  नहीं  चढ़ते  थे  जो  पहले  कभी

अब  वही  बेख़ौफ़  होकर  घूमते  शहरों में नाग

 

अब  बचाकर  जान  देखो  भागता  है  आदमी  

फन उठाये  मिल रहे हैं हर कही डगरों  में नाग

 

 हो  सके तो  बाज  आओ  प्यार से  इनके बचो

कौन जाने दंश…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 10, 2016 at 1:00pm — 3 Comments

गीत

स्नेह का दीप चाहे विजन में जले किन्तु जलता रहे यह् बढे ना  कभी

जो हृदय शून्य था मृत्तिका पात्र सा

नेह से आह ! किसने तरल कर दिया ?

जल उठी कामना की स्वतः वर्तिका

शिव ने कंठस्थ फिर से गरल कर लिया

अश्रु के फूल हों नैन-थाली सजे स्वप्न के देवता पर चढ़े ना  कभी   

आ बसी मूर्ति जब इस हृदय-कोश में

पूत-पावन वपुष यह उसी क्षण हुआ

रच गया एक मंदिर मुखर प्रेम का

साधना से विहित दिव्य प्रांगण हुआ

फूल ही सर्वथा एक शृंगार हो,…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 5, 2016 at 9:39pm — 2 Comments

गीत

स्नेह का दीप चाहे विजन में जले किन्तु जलता रहे यह् बढे न कभी

जो हृदय शून्य था मृत्तिका पात्र सा

नेह से आह ! किसने तरल कर दिया ?

जल उठी कामना की स्वतः वर्तिका

शिव ने कंठस्थ फिर से गरल कर लिया

अश्रु के फूल हों नैन-थाली सजे स्वप्न के देवता पर चढ़े न कभी   

आ बसी मूर्ति जब इस हृदय-कोश में

पूत-पावन वपुष यह उसी क्षण हुआ

रच गया एक मंदिर मुखर प्रेम का

साधना से विहित दिव्य प्रांगण हुआ

फूल ही सर्वथा एक शृंगार हो,…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 5, 2016 at 8:45pm — 1 Comment

Monthly Archives

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
yesterday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service