जब देखता हूँ इस युग के भारतवर्ष के मंत्रियों को
खौल उठता है दिल जब देखता हूँ भ्रष्टाचारियों को
हर सड़क पर खुदे हैं गड्ढे
हर गली में कचरों की भरमार
हर रोज़ अख़बारों में हत्या का समाचार
राजधानी होकर भी हर रोज़ होता बलात्कार
सदाचारियों से सरकार का नहीं कोई सारोकार
गरीबी बढती दिन पर दिन
सरकार करती रोज़ भ्रष्टाचार
सदाचारी मंत्रियों की बढती दरकार
दुष्कर्मियों पर परोपकार
सद्कर्मियों का तिरस्कार
मंत्रियों के पास धन की भरमार
आम नागरिकों को…
Added by Rohit Dubey "योद्धा " on May 27, 2013 at 10:00am — 5 Comments
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