कोई हमनफस कैसे दिखे
कोई हमनवा कैसे रहे
बतलाए मुझको कोई तो
कोई बावफा कैसे दिखे...
तुम बदलते रूप इतने
और बदलकर बोलियाँ
खोजते रहते हो हममें
वतनपरस्ती के निशाँ..
हम प्यार करने वाले हैं
हम जख्म खाने वाले हैं
हम गम उठाने वाले हैं
हम साथ देने वाले हैं
अकीदे का हर इम्तेहां
हम पास करते आये हैं
किसी न किसी बहाने
तुम टांग देना चाहते हो
जबकि हमारे काँधे पे
देखो…
Added by anwar suhail on June 15, 2015 at 8:07pm — 2 Comments
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