For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मजदूर दिवस : काश ऐसा न होता...

रात अंधड़ में 
छितराए फूस के छप्पर को 
करना है दुरस्त
लेकिन समय कहाँ
अभी तो जाना है काम पर 

फिरसे फूल आये पेट में 
कुलबुला रहा है जीव 
अनमनी सी कराह रही घरवाली
रांध नही पाती भात...

भूखे पेट पैडल मारता भूरा 
टुटही साइकिल खींच रहा 
ससुरी चैन साईकिल की 
काहे उतरती बार-बार
भूरा बेबस-लाचार, 
ठीकेदार का मुंशी भगा देगा उसे 
जो देर से पहुंचा वो...
लड़ भी तो नही सकता 
भगा दिया गया तो 
डूब जायेगी तीन माह की मजूरी 

भूरा नही जानता 
कि आज मजदूर दिवस है 
आज तमाम मजदूर-विरोधी प्रतिष्ठानों में 
मजदूरों के योगदान और बलिदान पर 
बोलेंगे अभिजात्य मजदूर नेता 
और शोषक धन्नासेठ मालिक...

(मौलिक अप्रकाशित ) 

Views: 580

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on May 29, 2014 at 9:55pm

इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु ह्रदय से अभिनन्दन स्वीकार करें आदरणीय 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 20, 2014 at 3:01am

ऐसे ही पाखण्डों पर कविता का यह स्वरूप प्रहार करे. धरती की महक से गमक रही इस कविता पर दिल से बधाई, आदरणीय सुहैल भाई.

सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 4, 2014 at 12:44pm

एक मेहनतकश मजदूर की वेदना बयाँ करती रचना प्रस्तुति के लिए बधाई श्री अनवर सुहैल भाई 

Comment by coontee mukerji on May 4, 2014 at 12:42am

बहुत कड़वी सच्चाई है...सादर.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 3, 2014 at 11:06am

आदरणीय सुहैल भाई, एक मजदूर की विवस्ता को भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए कोटि कोटि नमन .

Comment by Gajendra shrotriya on May 2, 2014 at 10:49pm

विशेष सन्दर्भ को इंगित करती एक सशक्त और सार्थक रचना के लिये दिल से बधाई आदरणीय anwar suhail साहब। कवि मन में इस प्रकार के ज्वलंत विषयो का प्रस्फुटन पुरातन से आधुनिक काल तक समाज को नई सोच और दिशा देता रहा है। यही भाव बनाये रखें।  शुभकामनाएँ। 

Comment by नादिर ख़ान on May 2, 2014 at 7:46pm

आदरणीय सुहैल भाई  ,बहुत अच्छे चित्र खींचे है आपने, रचना के माध्यम से मज़दूरों के दर्द को बयाँ किया है  ढेरों शुभकामनायें ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 2, 2014 at 4:56pm

सच्चाई बयान करती कविता हममें से कई लोगों को तो मालूम ही नहीं है कि हमारे अधिकार क्या हैं यदि जागरुकता आ जाये तो शोषण में कमी आ सकती है आदरणीय सुहैल सर रचना के कथ्य के लिये बहुत बहुत बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on May 2, 2014 at 4:32pm
बहुत सुन्दर ॥ अतुकांत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
12 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
42 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
43 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
48 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
55 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service