" बहुत अच्छा करती हो जो अब गोष्ठियों में आने लगी हो , अच्छा लगा आपको यहाँ देखकर । " एक वरिष्ठ साहित्यकार ने एक महिला से कहा ।
" जी नमस्ते सर , नहीं ऐसा कुछ नहीं है , समय अनुसार आ जाती हूँ , विविध रचनाकारों को सुनने का अवसर मिल जाता है । " उस महिला ने उत्तर दिया ।
" ओह तो श्रोता बनकर आती हो ? "
" जी , वैसे सुना है आज कल श्रोता नहीं मिलते ? जो भी आते है उन सभी को मंच की लालसा होती है । "
" बिलकुल सही कह रहीं हैं आप", अट्हास लेते हुए उन्होंने अपने साथी की तरफ देखते हुए कहा , एक…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 24, 2017 at 2:30pm — 11 Comments
1
कैसी ख़ामोशी
हर तरफ़ देखो
रात खामोश
2
यह जो तुम
हो गये हो ख़ामोश
बदली छायी ।
3
बदल गए
सोचा न ऐसा कभी
ख़ामोशी बोली ।
4
दूर हो गए
कदम ख़ामोशी के
चलते चले ।
5
जब टूटेगी
ख़ामोशी बादलों की
वर्षा ही होगी ।
6
सुनायी देती
ख़ामोशी की ज़ुबान
आँखों में देख ।
7
लम्बी ख़ामोशी
काँटो सी है चुभति
समझे कोई ।
8
रहने लगे…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 12, 2017 at 11:00pm — 2 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 11, 2017 at 10:55pm — 8 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 9, 2017 at 12:53pm — 4 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 3, 2017 at 8:56am — 8 Comments
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