"अरे मिश्रा जी ,इतना सामान कहाँ ले जा रहे हैं "-पड़ोस के एक सज्जन ने पूछा |
"कुछ नही ,भाई रमेश ,मेरे बेटे का बी.टेक में सिलेक्शन हो गया है न ,उसे हास्टल छोड़ने जा रहा हूँ"-मिश्रा जी ने बड़े गर्व से कहा |
"देखो ,बेटे ,वहां सभी गन्दी चीज़ों से दूर रहना ,अब तक तो हम तेरे साथ थे ,अब तुझे खुद ही सब कुछ करना होगा "-बेटे को समझाते हुए मिश्रा जी ने कहा |
बेटा जो अभी कच्ची मिटटी था ,अपने माँ बाप से कभी दूर नही हुआ आँखों में आंसू भरकर बोला "जी,पिता जी"
इतना कह कर बेटा…
ContinueAdded by maharshi tripathi on June 6, 2015 at 8:00pm — 16 Comments
क्या कहूँ सच का हाल इस दौर में मित्रों
मैंने अपनों से सच कहने की सजा पायी है
अब तो हद है जुल्मों सितम गरीबों पर
आम को इमली न कहने की सजा पायी है
अब तो जुर्म करने वाले भी बेबाक घूमते हैं
कईयों ने तो जुर्म सहने की सजा पायी है
बक्शा नही प्रभु ने मेरे आलिन्द गिरा दिए
मैंने माँ को बेघर करने की सजा पायी है
टूटा है दिल मेरा आँखों में सिर्फ पानी है
हाँ मैंने इश्क़ करने की सजा पायी है
कैद हैं पिजड़े में, माँ संग नीड में रहने…
ContinueAdded by maharshi tripathi on June 3, 2015 at 6:01pm — 11 Comments
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