ग़ज़ल
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मदमस्त हम न हों कभी आँखों नमी से हम
सुख दुख रहें खुशी से सदा बन्दगी से हम
हर शख़्स चाहता है ख़ुशी से हो ज़िन्दगी
तस्बीह हो ख़ुदा की बचें हर बदी से हम
हमदर्द बन रहें कभी ज़िन्दा न लाश हों
खुशहाल ज़िन्दगी जियें इन्सान ही से हम
हमको क़सम ख़ुदा की न ज़ालिम का साथ हो
खुशहाल हर कोई कि हर दम नबी से हम
हम भूल कर भी साथ न हों साज़िशों कहीं
जल्लाद हर कहीं हैं…
Added by Chetan Prakash on June 30, 2023 at 5:06pm — 2 Comments
दिया दिखाते सूर्य को, बनकर वो कवि सूर ।
आखर एक पढ़ा नहीं, महफिल की हैं हूर ।।
बुद्ध ...पड़े ..बेकार ..हैं, जग की रेलम पेल ।
कि गधों के सिर ताज है, चलते उलटी रेल ।।
नवाँकुरों ..के घर हुई, उस्तादों... से रार ।
आज ग़ज़ल प्राईमरी, मीर भी गिरफ्तार ।।
छूट मिली थी जो चचा , उन्हें नहीं दरकार ।
आँखों ..के ...अन्धे हुए, घर के पहरे दार ।।
ज़ुल्म करते रहे अदब, बदल काफिया…
ContinueAdded by Chetan Prakash on June 25, 2023 at 9:30am — 1 Comment
22 22 22 22 2
आँगन-आँगन अब धूप खिली है
कि..अंगड़ाई ले ..नदी ..बही है
ओस पत्तियाें हुई सतरँगी है
बसंत, बूँद हीर कनी बनी है
बागों बहार फूल कली आई
ऋुतु बसन्त भी बन वधू बिछी है
लिखा शह्र के भाग्य अभी रोना
गली-सड़क याँ, लू गर्म बही है
तपता तवा सड़क तारकोल की
मुफलिस के घर वो छान पड़ी है
आई क्या गरमी मई - जून की
मौत आम जन सर, आन पड़ी है
बहरा हो गया ख़ुदा…
ContinueAdded by Chetan Prakash on June 12, 2023 at 5:26pm — No Comments
दुर्दशा हुई मातृ भूमि जो, गंगा ...हुई... .पुरानी है
पावन देवि सरस्वती तुझे, कविता-कथा सुनानी है !
दोहा ..सोरठा ..सवैया तज, कवि मुक्त काव्य लिखता है ।
सिद्ध छंद छोड़ काव्य वह अब, भार गिरा कर पढ़ता है ।।
ग़ज़ल उसे बहुत भाती रही, याद ,.,कविता.. दिलानी है ।
कविता का ..मर्म नहीं.. जाने , घुट्टी ..उन्हें ...पिलानी है ।।
पावन देवि सरस्वती तुझे, कविता - कथा.. सुनानी है !
माँ शारदे .. सुन, वरदान दे, दास काव्य का..बन…
ContinueAdded by Chetan Prakash on June 1, 2023 at 7:35am — 1 Comment
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