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Rohit Dubey "योद्धा "'s Blog – June 2012 Archive (1)

उड़ने दो मुझे आस्मां में



इस कविता में मैंने आज के उस आम आदमी की व्यथा बताई  है , जो  बहुराष्ट्रीय कंपनी के चक्कर में  फसकर प्रकृति से जुदा हो गया है , आज की इस भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में , इस स्पर्धा  में हम खुद को प्रकृति से बहुत दूर कर गए हैं |पेश है आम आदमी की उस व्यथा को जो उसे मजबूर बनाकर आम आदमी बना देती है , कैसे इंसान इस भेड़ चाल में अपने सपनो का गला घुटता  पा रहा है!

कैद न करो मुझे पिंजरों में

उड़ने दो मुझे आस्मां  में 
छीनो न…
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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on June 2, 2012 at 10:30pm — 6 Comments

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