बिछा मेरा जमीं पे दिल कदम अपने बढ़ाती है
मुझे ही प्यार करती है कसम भी रोज खाती है
न कोई प्यार अब लिखना, किताबो से मिटा देना
वफा कैसे करें पढ कर जला वो दिल दिखाती है
जुदाई चीज है ऐसी कही खुशियाँ कही दे गम
जुदा नभ से हो बूँदे प्यास धरती की मिटाती है
खिलो मत एे कमल अब तुम, तुझे देखे न अब दुनिया।
तुम्हारा नाम ले जिसको, पुकारू वो सताती है।।
छुपा लो चाँद को बादल, न है अब रौशनी प्यारी
उजाला देख कर मुझको, किसी की याद आती है
किसे…
Added by Akhand Gahmari on June 27, 2015 at 5:05pm — 5 Comments
दवा है दर्द की कह कर पिला देगा मुझे कोई
गिरा कर अश्क फिर अपने बहा देगा मुझे कोई
सिख़ाओ मत मुझे जीना न है अब जिन्दगी प्यारी
दिखा कर प्यार के सपने जला देगा मुझे कोई
गमो की राह अच्छी है न आता पास दुश्मन भी
डगर सुख की चले तो बददुआ देगा मुझे कोई
निराले खेल दुनिया के कभी खेला अगर मैने
न दोगे साथ मेरा तो हरा देगा मुझे कोई
न है हर फूल में काँटे हमेशा सोचता हूँ मै
न बदला सोच अपना तो मिटा देगा मुझे…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on June 24, 2015 at 3:57pm — 10 Comments
महीना जून का पावन मुझे तो खूब है भाता
मगर इसका मुझे है ग़म हमेशा ये नही आता
बला बीबी टले इस माह नइहर वो चली जाती
सुबह से शाम तक करती परेशा सर वही खाती
यही ये माह है ऐसा खुशी जो साथ्ा में लाता
मगर इसका मुझे है ग़म हमेशा ये नही आता
महीना जून का पावन मुझे तो खूब है भाता
लड़ाता जाम विस्की के ऩज़र रखता पडोसन पे
न खाना मैं बनाता हूँ मगाता रोज होटल से
पिटाई भी नही होती जली रोटी नहीं खाता
मगर इसका मुझे है गम…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on June 4, 2015 at 6:00pm — 4 Comments
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