उदास तारा
1212, 1122, 1212, 22
न बदली छाई थी कोई न कुहरा छाया था
लपेटे चाँदनी अपनी क़मर भी निकला था
सजा था रात सितारों से आसमाँ सारा
उन्हीं के बीच था गुमसुम उदास इक तारा
उदास देख उसे दिल मेरा मचलने लगा
कि बात करने का उससे ख़याल पलने लगा
बुलाया मैंने इशारे से फिर क़रीब उसे
कहा बता तू ज़रा हाल ऐ हबीब मुझे …
Added by Md. Anis arman on July 31, 2021 at 10:11am — 6 Comments
12122, 12122
1)वो मिलने आता मगर बिज़ी था
मैं मिलने जाता मगर बिज़ी था
2)था इश्क़ तुझसे मुझे भी यारा
तुझे बताता मगर बिज़ी था
3)वो कह रहा था मदद को तेरी
ज़रूर आता मगर बिज़ी था
4)मैं दूसरों की तरह जहाँ में
बहुत कमाता मगर बिज़ी था
5)वो चाहती थी मना लूँ उसको
है सच मनाता मगर बिज़ी था
6)फ़लक से तेरे लिए यक़ीनन
मैं चाँद लाता मगर बिज़ी…
Added by Md. Anis arman on July 23, 2021 at 8:07pm — 12 Comments
1212, 1122, 1212, 22
1)वो ऐसे लोग जो दुनिया से तेरी ग़ाफ़िल हैं
मेरी नज़र में वही आज सबसे आक़िल हैं
2)ये उसके सामने इक़रार करना चाहता हूँ
रक़ीब सारे मेरी जान मुझसे क़ाबिल हैं
3) हमारे मुल्क में है मसअला यही इक बस
पढ़े लिखे भी बहुत से यहाँ के जाहिल हैं
4)हकीम बेबसी मँहगी दवा सियासतदाँ
यही हैं वो जो मेरी ज़िन्दगी के क़ातिल हैं
5)मैं जिनके वास्ते दुनिया से लड़ने निकला हूँ …
Added by Md. Anis arman on July 18, 2021 at 8:00pm — 8 Comments
221, 2122, 221, 2122
1)इन आँसुओं की इक दिन तासीर बोल उठेगी
ग़म देख मेरा तेरी तस्वीर बोल उठेगी
2)जो हाल -ए -दिल हम अपना लिख दें कभी क़लम से
रोने लगेगा काग़ज़ तहरीर बोल उठेगी
3)ईमान पुख़्ता रख और हिम्मत से काम ले तू
फिर देख कैसे तेरी तक़दीर बोल उठेगी
4)पूछोगे प्यार से तुम जब हाल- ए- दिल हमारा
हर ज़ख़्म जी उठेगा हर पीर बोल उठेगी
5) इतना ग़लत भी मत कर ये इल्तिजा है तुझसे
वर्ना तू देख…
Added by Md. Anis arman on July 15, 2021 at 10:50am — 4 Comments
1212, 1122, 1212, 22
1)तेरे जमाल के मारों से गुफ़्तगू की है
तमाम रात सितारों से गुफ़्तगू की है
2)है तेरे हुस्न से ख़तरे में हर चमन का वजूद
गुलों ने डर के बहारों से गुफ़्तगू की है
3)उदास टूटे मेरे दिल ने आज सारी रात
मेरे मकाँ की दरारों से गुफ़्तगू की है
4) मुदावा हो गया मेरे सभी ग़मों का आज
ज़माने बाद जो यारों से गुफ़्तगू की है
5)मिला नहीं है हमें अब तलक कोई तुमसा
जहाँ में हमने हज़ारों से गुफ़्तगू की…
Added by Md. Anis arman on July 11, 2021 at 1:00pm — 4 Comments
2122, 1122, 1122, 22
है दुआ तुझसे यूँ चमका दे मुक़द्दर मौला
कर दे ईमाँ से मेरे दिल को मुनव्वर मौला
अबरहा चल पड़ा है आज सितम ढाने को
भेज दे फिर से अबाबीलों का लश्कर मौला
मोड़ कर पैरों को सीने से लगा रक्खा है
फिर भी छोटी ही पड़े मेरी ये चादर मौला
होंगी कितनी हसीं जन्नत की वो हूरें आख़िर
सोचता रहता हूँ ये बात मैं अक्सर मौला
ज़िन्दगी कट तो गयी पर मैं जिसे अपना कहूँ
ऐसा इक पल न हुआ मुझ को मयस्सर…
Added by Md. Anis arman on July 8, 2021 at 1:00pm — 6 Comments
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