Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 25, 2016 at 11:00pm — 2 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 14, 2016 at 12:00pm — 6 Comments
22 122 122 122
दर पर तुम्हारे बसर छोड़ता हूँ।
लो मैं तुम्हारा नगर छोड़ता हूँ।।
क्या फ़र्क है, ग़र है धड़कन तुम्हीं से।
मैं ज़िन्दगी की बहर छोड़ता हूँ।।
चिंता नहीं कर न आऊँगा मिलने।
कच्चा ये माटी का घर छोड़ता हूँ।।
तुमको नज़र लग न जाये किसी की
काज़ल ये दिल भस्म कर छोड़ता हूँ।।
खुद पे तुम्हारा यकीं कम न होये।
तुमको ग़ज़ल में अमर छोड़ता हूँ।।
मौलिक-अप्रकाशित
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 10, 2016 at 11:30am — 14 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 6, 2016 at 11:25pm — 10 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 5, 2016 at 5:25pm — 8 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 3, 2016 at 3:59pm — 5 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 2, 2016 at 4:58pm — 10 Comments
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