पीहर के आँगन छूटी उस मिट्टी का रंग पीला था
गाँव से संदेसा लायी उस चिट्ठी का रंग पीला था
जनक ने विदा किया दहेज़ का हर सामान देकर
पीठ पर निशान किये उस पट्टी का रंग पीला था
बहुत मन से बनाया साग नमक जियादा हो गया
थाली से जो फेंक मारी उस लिट्टी का रंग पीला था
गाँव बाहर पुल पर मजदूरी को भेजा घर वालों ने
तसले भरके जो ढोया उस गिट्टी का रंग पीला था
वंश बेल आगे करने को उनको इक बेटा जरूरी था
बेटी को मिला…
ContinueAdded by Nidhi Agrawal on July 22, 2015 at 11:30am — 8 Comments
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