कि इश्क सुन तिरे हवाले ताज करते हैं
कि प्यार कल भी था तुझी से आज करते हैं
हुकूमतों का शोख़ रंग यह भी है यारों
कि हम जहाँ नहीं दिलों पे राज करते हैं
बहुत लगाव है हमें वतन की मिटटी से
इसी पे जान दें इसी पे नाज़ करते हैं
नरम दिली नहीं समझते देश के दुश्मन
चलो कि आज हम गरम मिज़ाज करते
मिरे वतन के फौज़ियों सलाम है मेरा
तुझी से मान है तुझी पे नाज़ करते हैं
संजू शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित
Added by sanju shabdita on July 3, 2013 at 9:00pm — 24 Comments
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