2222 2222 2222 222
पीछे मुड़कर जब भी देखा मौन खड़ा साकार मिला ।।
इसकी आँहें उसके आँसू बिखरा बिखरा प्यार मिला ।।(1)
मतलब की इस दुनियाँ में सब यार मिले हैं मतलब के,
मतलब से है मतलब सबको मतलब का मनुहार मिला ।।(2)
झूम रहीं नफ़रत की फसलें बीज सभी ने बोये हैं,
अपनों के सीनों पर चलता अपनों का हथियार मिला ।।(3)
खून खराबा देख रहा वह अपनी अनुपम दुनियाँ में,
सबकी किस्मत लिखने वाला आज स्वयं लाचार मिला ।।(4)
अज़ब निराले खेल यहाँ के…
Added by कवि - राज बुन्दॆली on July 15, 2016 at 2:30am — 6 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on July 11, 2016 at 9:53pm — 10 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on July 2, 2016 at 10:36am — 10 Comments
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