For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कवि - राज बुन्दॆली's Blog – July 2016 Archive (3)

ग़ज़ल,,,

2222 2222 2222 222



पीछे मुड़कर जब भी देखा मौन खड़ा साकार मिला ।।

इसकी आँहें उसके आँसू बिखरा बिखरा प्यार मिला ।।(1)



मतलब की इस दुनियाँ में सब यार मिले हैं मतलब के,

मतलब से है मतलब सबको मतलब का मनुहार मिला ।।(2)



झूम रहीं नफ़रत की फसलें बीज सभी ने बोये हैं,

अपनों के सीनों पर चलता अपनों का हथियार मिला ।।(3)



खून खराबा देख रहा वह अपनी अनुपम दुनियाँ में,

सबकी किस्मत लिखने वाला आज स्वयं लाचार मिला ।।(4)



अज़ब निराले खेल यहाँ के…

Continue

Added by कवि - राज बुन्दॆली on July 15, 2016 at 2:30am — 6 Comments

घनाक्षरी छन्द :-

1) जलहरण घनाक्षरी छन्द

-------------------

यशोदा को छैया सखी,छलिया छबीलो छैल,

छेड़त है नित्य प्रति,यमुना के घाट पर ।।

कंकरिया मार मार,गगरिया फोर डारै,

ठाढ़ो ठहाके लगावै,खूब ढीठ डाँट पर ।।

छीन लेत दही दूध,लूट लेत माखन वो,

तके रोज ठाढ़ो रहै,गोकुल की बाट पर ।।

चंचल चपल चल,चितचोर श्याम लटो,

आज रात सपनें में,आइ गयो खाट पर ।।(1)





२)रूप घनाक्षरी छन्द :-



बात नहीं करें आज,रूठ गये बृजराज,

हार गए नैना सखी,श्याम मग हेर हेर… Continue

Added by कवि - राज बुन्दॆली on July 11, 2016 at 9:53pm — 10 Comments

ग़ज़ल,,,,

ग़ज़ल,,,,,

,,,,,,,,,,,,,,,,



1222,1222,1222,1222



तुम्हारा अश्क़ गंगा है हमारा अश्क़ पानी है ।।

तुम्हारा इश्क़ लैला है हमारा क्यूँ कहानी है ।।(1)



छुपाकर अब तलक़ रक्खा गुलाबी गुल किताबों में,

हमारे प्यार की आखिर वही तो इक निसानी है ।।(2)



लिखे थे ख़त कभी तुमनें मुझे दो चार लफ़्ज़ों में,

कसम से आज भी उनमें महकती ज़ाफ़रानी है ।।(3)



शिकायत कर रहा है एक गजरा मोंगरे का अब,

हुई क्यों दूर यूँ मुझसे अचानक रातरानी है ।।(4)



नहीं… Continue

Added by कवि - राज बुन्दॆली on July 2, 2016 at 10:36am — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
yesterday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service