कहीं लब पर तराने हैं मुहब्बत के फ़साने हैं.
सुहाने दिन तेरी आगोश में मुझको बिताने हैं.
फिजा में ये हवायें भी तेरे दम से महकती हैं,
सुना है हीर की खातिर कई रांझे दिवाने हैं...
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यहाँ सब लोग तेरे हुश्न के किस्से सुनाते हैं.
अधर ये शबनमी उसके मुझे अक्सर रिझाते हैं.
बहुत बेचैन है ये दिल उड़ी है नींद आँखों से,
कटीले दो नयन तेरे बहुत मुझको सताते…
ContinueAdded by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 11, 2012 at 10:30pm — 14 Comments
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