माँ, बहन, बेटी के आँसू पे यहाँ रोता है दिल
रोज़ लुटती अस्मतें, क़त्लों का ग़म ढोता है दिल |
आबरू को उम्रदारों ने भी बदसूरत किया
मर्दों का बचपन भी है बदकार बद होता है दिल |
शाहो-साहब औ’ गँवारों सब में बद शह्वानीयत
सब की आँखों में चढ़ा शर्मो-हया खोता है दिल |
है हुक़ूमत बेअसर बेख़ौफ़ हैं ज़ुल्मो-ज़बर
हर घड़ी हर साँस जैसे ख़ार पे सोता है दिल |
आज भी शै की तरह हैं घर या बाहर…
ContinueAdded by Santlal Karun on July 19, 2014 at 7:25pm — 34 Comments
भारत तेरा रूप सलोना, यहाँ-वहाँ सब माटी सोना |
कहीं पर्वत-घाटी, जंगल, कहीं झरना-झील, समुन्दर
कहीं गाँव-नगर, घर-आँगन, कहीं खेत-नदी, तट-बंजर
कश्मीर से कन्याकुमारी, कामरूप से कच्छ की खाड़ी
तूने जितने पाँव पसारे, एक नूर का बीज है बोना |
इस डाल मणिपुरी बोले, उस डाल मराठी डोले
इस पेड़ पे है लद्दाखी, उस पेड़ पे भिल्लीभिलोडी
कन्नड़-कोयल, असमी-तोता, उर्दू–बुलबुल, उड़िया-मैना
एक बाग के सब हैं पंछी, सब से चहके…
ContinueAdded by Santlal Karun on July 19, 2014 at 7:00pm — 26 Comments
2212 / 2212 / 2212 / 2212
दिल के मकाँ में यार कोई दिलकुशा मिलता नहीं
भीगा पड़ा है आशियाँ अब दिलशुदा मिलता नहीं |
हमने वफ़ा में बाअदब जानो-ज़िगर सब दे दिया
उनकी वफ़ा, चश्मो-अदा, दिल गुमशुदा मिलता नहीं |
उम्मीद हमने छोड़ दी उनकी इनायत पे बसर
ये ज़िन्दगी रहमत-गुज़र दिल या ख़ुदा मिलता नहीं |
उनकी वफ़ा के माजरे, बेबस्तगी पे क्या कहें
उन पे फ़ना दिल रोज़ होता दिल जुदा मिलता नहीं |
यों दिलज़दा मेरा…
ContinueAdded by Santlal Karun on July 19, 2014 at 5:00pm — 16 Comments
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