2122 -1212 -22
मुझ पे तू मेहरबां नहीं होता
मैं तेरा क़द्रदां नहीं होता।
बोलने वाले कब ये समझेंगे
चुप है जो बेज़ुबां नहीं होता।
कोई अरमान हम भी बोते. . .गर
मौसम-ए-दिल ख़िज़ाँ नहीं होता।
ख्वाहिशो सीने पे न दस्तक दो
अब मेरा दिल यहां नहीं होता।
जो बचाए किसी को कातिल से
वो सदा पासबाँ नहीं होता।
चाहे कितना उठे धुआँ ऊपर
वो कभी आसमाँ नहीं होता।
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Added by Gurpreet Singh jammu on July 20, 2017 at 1:41pm — 14 Comments
2122 -1212 -22
आस दिल में दबी रही होगी
और फिर ख़्वाब बन गई होगी।
टूट जाए सभी का दिल या रब
दिलजले को बड़ी ख़ुशी होगी।
ज़ह्न हारा हुआ सा बैठा है
दिल से तक़रार हो गई होगी।
जिसकी खातिर लुटा दी जान उसने
चीज़ वो भी तो कीमती होगी।
जब मुड़ा तेरी ओर परवाना
शमअ बेइन्तहा जली होगी।
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Added by Gurpreet Singh jammu on July 11, 2017 at 1:26pm — 28 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |