For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – July 2019 Archive (8)

कैसे भूलें हम ....

कैसे भूलें हम ....

पागल दिल की बात को

सावन की बरसात को

मधुर मिलन की रात को

अधरों की सौगात को

बोलो

कैसे भूलें हम

अंतर्मन की प्यास को

आती जाती श्वास को

भावों के मधुमास को

उनसे मिलन की आस को

बोलो

कैसे भूलें हम

नैनों के संवाद को

धड़कन के अनुवाद को

बीते पलों की याद को

तिमिर मौन के नाद को

बोलो

कैसे भूलें हम

अंतस के तूफ़ान को

धड़कन की पहचान को

अधरों की…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 31, 2019 at 12:38pm — 4 Comments

मेरा प्यारा गाँव:(दोहे )..............

मेरा प्यारा गाँव:(दोहे )..............

कहाँ गई पगडंडियाँ, कहाँ गए वो गाँव।

सूखे पीपल से नहीं, मिलती ठंडी छाँव।1।

सूखे पीपल से नहीं, मिलती ठंडी छाँव।

जंगल में कंक्रीट के , दफ़्न हो गए गाँव।2।

जंगल में कंक्रीट के , दफ़्न हो गए गाँव।

घर मिट्टी का ढूंढते, भटक रहे हैं पाँव।3।

घर मिट्टी का ढूंढते, भटक रहे हैं पाँव।

चैन मिले जिस छाँव में, कहाँ गई वो ठाँव।4।



चैन मिले जिस छाँव में, कहाँ गयी वो ठाँव।

मुझको…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 29, 2019 at 2:00pm — 7 Comments

प्रीत भरे दोहे .....

प्रीत भरे दोहे .....

अगर न आये पास वो, बढ़ जाती है प्यास।

पल में बनता प्रीत का , सावन फिर आभासll

छोड़ो भी अब रूठना , सावन रुत में तात।

बार बार आती नहीं ,भीगी भीगी रात।।

नैन नैन को दे गए , गुपचुप कुछ सन्देश।

अन्धकार में देह से , हुआ अनावृत वेश। ।।

यौवन की नादानियाँ , सावन के उन्माद।

अंतस के संवाद का ,अधर करें अनुवाद।।

याचक दिल की याचना , दिल ने की स्वीकार।

बंद नयन में हो गया , अधरों का…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 24, 2019 at 2:30pm — 3 Comments

तन्हाई में ...

तन्हाई में ...

होती है
बहुत ज़रूरत
तन्हाई में
तन्हा हाथ को
अपने से
एक हाथ की
बोलता रहे
जिसका स्पर्श
सदियों तक
अलसाई सी तन्हाई में

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on July 20, 2019 at 8:05pm — 6 Comments

सजन रे झूठ मत बोलो ...

सजन रे झूठ मत बोलो ...

रहने दो

मेरे घावों पर

मरहम लगाने की कोशिश मत करो

मैं जानती हूँ

तुम्हारे मन में

मैं नहीं

सिर्फ मेरा तन है

जानती हूँ

रैन होते ही तुम आओगे

कुछ बहलाओगे कुछ फुसलाओगे

धीरे धीरे मैं बहल जाऊँगी

मोम सी पिघल जाऊँगी

न न करते

मर्यादाओं की दहलीज़ लाँघ जाऊँगी

भोर के साथ नशा उतर जाएगा

हर वादा बहक जाएगा

हर बार की तरह

मेरे मन में

फिर आने की कसक छोड़ जाओगे

हर इंतज़ार

बस…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 19, 2019 at 4:24pm — 1 Comment

अहसास .. कुछ क्षणिकाएं

अहसास .. कुछ क्षणिकाएं

छुप गया दर्द

आँखों के मुखौटों में

मुखौटे

सिर्फ चेहरे पर

नहीं हुआ करते

.............................

छील गया

उल्फ़त की चुभन को

एक रेशमी खंजर

चुपके से

...........................

झील की आगोश में

चाँद की

चाँद संग सरगोशियाँ

कर गई बेनकाब

सह्र की

पहली किरण

........................

बन जाती

घास पर

ओस की बूँद

रोता है

जब चाँद

आसमान…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 15, 2019 at 6:53pm — 6 Comments

श्वासों में....

श्वासों में....

मैं नहीं चाहता अभी 

मृत्यु का वरण करना 

प्रेम का वरण करना

शेष है अभी

श्वासों में

प्रतीक्षा की दहलीज़ पर

खड़े हैं कई स्वप्न

निस्तेज से

अवसन्न मुद्रा में

साकार होने को

मैं नहीं चाहता

सपनों की किर्चियों से

पलक पथ को रक्तरंजित करना

तिमिर गुहा में

यथार्थ से

साक्षात्कार करना

शेष है अभी

श्वासों में

अभी अनीस नहीं हुई

मेरी देह

ज़िंदा हैं आज भी…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 8, 2019 at 5:28pm — 2 Comments

वज़ह.....

वज़ह.....

बिछुड़ती हुई
हर शय
लगने लगती है
बड़ी अज़ीज
अंतिम लम्हों में
क्योँकि
होता है
हर शय से
लगाव
बेइंतिहा
दर्द होता है
बहुत
जब रह जाती है
पीछे
ज़िंदगी
जीने की
वज़ह

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on July 5, 2019 at 4:56pm — 4 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service