बेल की पाती -कपूर की बाती.
बेला है थाली सजावन की.
सखी पावन सोमारी है सावन की .
सावन में शंकर को दूधो नहाओ.
रोरी और चन्दन का टीका लगाओ.
महीना है शम्भु मनावन की.
सखी पावन सोमारी है सावन की .
…
ContinueAdded by satish mapatpuri on July 26, 2011 at 11:00pm — No Comments
(दहेज़ के लिए पत्नी को जलाने,हत्या करने जैसी घटनाएँ आज भी हमारे समाज में घट रही हैं. हम कैसे मान लें हम पहले से अधिक शिक्षित और सभ्य हो चुके हैं. मानसरोवर --4 इसी अमानुषिक कृत्य पर आधारित है.
Added by satish mapatpuri on July 17, 2011 at 6:30pm — 2 Comments
Added by satish mapatpuri on July 15, 2011 at 1:00am — No Comments
इस दुनिया के निर्माता ने, सृष्टि के भाग्य विधाता ने.
मारुति-कृशानु के संगम से, भूमि -वारि और गगन से.
एक पुतला का निर्माण किया.
मानव का नाम उचार दिया.
मांस -चर्म के इस तन में,नर -नारी के सुन्दर मन में.
एक समता का संचार किया, तन लाल रुधिर का धार दिया .
सबको समान दी सूर्य -सोम.
सबको समान दी भूमि -ब्योम.
सबको चमड़े की काया दी. सबको सृष्टि की छाया…
ContinueAdded by satish mapatpuri on July 11, 2011 at 12:30am — 9 Comments
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